नयी दिल्ली, 28 जुलाई (भाषा) सोने की अनिवार्य हॉलमार्किंग प्रक्रिया 16 जून से चरणबद्ध तरीके से शुरू हुई है। उसके बाद से ही जौहरियों, सर्राफा कारोबारियों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
ऑल इंडिया जेम एंड ज्वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल (जीजेसी) ने बुधवार को कहा कि सर्राफा कारोबारियों को क्षतिग्रस्त सोने के सामान के अलावा परख केंद्रों से हॉलमार्क वाले आभूषण पाने में विलंब तथा सामानों पर आईडी प्रणाली लागू करने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सरकार ने सोने की हॉलमार्किंग के पहले चरण के लिए 28 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के 256 जिलों का चयन किया है। सोने की हॉलमार्किंग बहुमूल्य धातु की शुद्धता का प्रमाण होता है। अभी तक यह स्वैच्छिक था।
जीजेसी के निदेशक दिनेश जैन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम अनिवार्य हॉलमार्किंग के लिए तैयार हैं, लेकिन छोटे जौहरियों को कुछ समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। यदि इन मुद्दों को हल नहीं किया गया, तो उद्योग ध्वस्त होने के कगार पर पहुंच जाएगा।’’
जैन ने कहा कि जौहरियों के समक्ष जो सबसे प्रमुख समस्या आ रही है वह भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के पोर्टल पर छह अंक की हॉलमार्क विशिष्ट पहचान संख्या (एचयूआईडी) को अपलोड करने से संबंधित है। प्रत्येक हॉलमार्क सोने के सामान पर यह संख्या होती है।
उन्होंने कहा, ‘‘एचयूआईडी प्रणाली काफी समय लेने वाली है जिसकी वजह से जांच और हॉलमार्किंग केंद्र (एएचसी) एक दिन में 150 से 200 से अधिक टुकड़ों की हॉलमार्किंग नहीं कर पा रहे हैं।’’
जैन ने कहा कि एएचसी तथा जौहरी दोनों को एचयूआईडी अपलोड करना पड़ता है। यह जटिल तथा समय लेने वाली प्रक्रिया है। इस वजह से एएचसी पर हॉलमार्किंग में देरी हो रही है।
भाषा अजय अजय मनोहर
मनोहर
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