आईटीसी होटल्स की विदेशी बाजारों में विस्तार पर नजर

आईटीसी होटल्स की विदेशी बाजारों में विस्तार पर नजर

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  • Publish Date - January 15, 2025 / 05:10 PM IST,
    Updated On - January 15, 2025 / 05:10 PM IST

(तस्वीर के साथ)

नयी दिल्ली, 15 जनवरी (भाषा) आईटीसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक संजीव पुरी ने कहा है कि कंपनी अपने होटल कारोबार का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने की योजना बना रही है। इसकी शुरुआत पड़ोसी देशों और पश्चिम एशिया से की जाएगी।

आईटीसी सिगरेट से लेकर उपभोक्ता वस्तुओं तक के कारोबार में है। कंपनी ने अपने होटल कारोबार को अलग कर दिया है। नई कंपनी अगले कुछ सप्ताह में शेयर बाजारों में सूचीबद्ध होगी।

आईटीसी होटल्स लिमिटेड को सूचीबद्ध करने की तारीख की घोषणा अभी नहीं की गई है, हालांकि पुरी ने कहा कि यह ‘‘अगले कुछ हफ्तों’’ में सूचीबद्ध हो जाएगी।

नई इकाई में आईटीसी के शेयरधारकों की 60 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी, जबकि शेष हिस्सेदारी मूल कंपनी के पास रहेगी।

पुरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘ जहां तक विदेशों का सवाल है..हम (विस्तार) शुरू कर रहे हैं। हम भारत-केंद्रित रहे हैं, लेकिन हमने देश के बाहर विस्तार शुरू कर दिया है। कोलंबो में हमारा एक होटल है। नेपाल में भी हमारा एक होटल है। नेपाल में एक और होटल के लिए भी हमने अनुबंध किया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ समय के साथ हम (विदेश में) विस्तार करेंगे…मुख्य रूप से समीपवर्ती बाजार पश्चिम एशिया पर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे। बाद में हम उससे आगे बढ़ेगे। कोई विशिष्ट अवसर सामने आने पर हम उस पर भी गौर करेंगे।’’

आईटीसी का लक्ष्य समूचे भारत में अपने होटलों की संख्या 140 से बढ़ाकर 200 से अधिक करने का है।

आईटीसी समूह के पहले एक प्रभाग के रूप में काम करने वाले होटल कारोबार को अब विभाजन के बाद परिचालन के मामले में स्वायत्तता मिलेगी। आईटीसी होटल्स के पास वर्तमान में 13,000 कमरों के साथ 140 संपत्तियां हैं।

छह अलग-अलग ब्रांड आईटीसी होटल्स, फॉर्च्यून, मेमेंटोस, स्टोरी, वेलकमहेरिटेज और वेलकमहोटल के तहत परिचालन करने वाले इस समूह ने पिछले वर्ष अप्रैल में श्रीलंका (के कोलंबो) में अपना पहला होटल खोला था।

अलग होने वाली इकाई के मूल्यांकन के बारे में पूछे जाने पर पुरी ने कहा कि प्रबंधन का काम कारोबार को अच्छी तरह से चलाना, व्यवसायों को वर्तमान तथा भविष्य के लिए तैयार करने का है, मूल्यांकन की जिम्मेदारी बाजार पर छोड़ देनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘ इसलिए मैं मूल्यांकन के बारे में कुछ नहीं कहूंगा।’’

भाषा निहारिका अजय

अजय