नई दिल्ली। चीन ने चालाकी कर ईरान के जरिए भारत को चाबहार रेल प्रोजेक्ट से बाहर कर दिया है। ईरान-चीन के बीच 400 अरब डॉलर की महाडील होने वाली है। लेकिन डील से पहले ही भारत को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
पढ़ें- मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारों में 5 से अधिक लोग एकत्र नहीं हों…
ईरान ने बयान दिया है कि 4 साल बीत जाने के बाद भी भारत ने इस परियोजना के लिए कोई फंड नहीं दिया। इसलिए वह अब खुद ही चाबहार रेल परियोजना को पूरा करेगा। ईरान के इस ऐलान से भारत को बड़ा कूटनीतिक झटका लगा है।
पढ़ें- आज शाम 7 बजे से 7 दिनों तक टोटल लॉकडाउन, शहर की सीमाएं भी रहेंगी सील
ईरान के रेलवे ने कहा है कि वह बिना भारत की मदद के ही इस परियोजना पर आगे बढ़ेगा। इसके लिए वह ईरान के नैशनल डिवेलपमेंट फंड 40 करोड़ डॉलर की धनराशि का इस्तेमाल करेगा। इससे पहले भारत की सरकारी रेलवे कंपनी इरकान इस परियोजना को पूरा करने वाली थी। यह परियोजना भारत के अफगानिस्तान और अन्य मध्य एशियाई देशों तक एक वैकल्पिक मार्ग मुहैया कराने की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए बनाई जानी थी। इसके लिए ईरान, भारत और अफगानिस्तान के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ था।
ईरान के ट्रांसपोर्ट और शहरी विकास मंत्री मोहम्मद इस्लामी ने 628 किमी लंबे रेलवे ट्रैक को बनाने का उद्धाटन किया था। इस रेलवे लाइन को अफगानिस्तान के जरांज सीमा तक बढ़ाया जाना है। इस पूरी परियोजना को मार्च 2022 तक पूरा किया जाना है। यह रेल परियोजना चाबहार पोर्ट से जहेदान के बीच बनाई जानी है।
पढ़ें- राफेल ने तुर्की एयरबेस को किया तबाह, पाकिस्तान की ब…
वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा के दौरान चाबहार समझौते पर हस्ताक्षर हुआ था। पूरी परियोजना पर करीब 1.6 अरब डॉलर का निवेश होना था। इस परियोजना को पूरा करने के लिए इरकान के इंजिनियर ईरान गए भी थे लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों के डर से भारत ने रेल परियोजना पर काम को शुरू नहीं किया। अमेरिका ने चाबहार बंदरगाह के लिए छूट दे रखी है लेकिन उपकरणों के सप्लायर नहीं मिल रहे हैं। भारत पहले ही ईरान से तेल का आयात बहुत कम कर चुका है।