इस वित्त वर्ष में 5.1 प्रतिशत तेजी से निवेशकों की पूंजी 25.90 लाख करोड़ रुपये बढ़ी
इस वित्त वर्ष में 5.1 प्रतिशत तेजी से निवेशकों की पूंजी 25.90 लाख करोड़ रुपये बढ़ी
(सुमेधा शंकर)
नयी दिल्ली, 28 मार्च (भाषा) स्थानीय शेयर बाजार में वित्त वर्ष 2024-25 में तेजी के साथ निवेशकों की संपत्ति में 25.90 लाख करोड़ रुपये से अधिक का उछाल आया।
इस दौरान बीएसई का मानक सूचकांक सेंसेक्स कुल 3,763.57 अंक यानी 5.10 प्रतिशत उछला जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का सूचकांक निफ्टी 1,192.45 अंक यानी 5.34 प्रतिशत चढ़ने में सफल रहा।
हालांकि चालू वित्त वर्ष का अंतिम कारोबारी सत्र शुक्रवार को गिरावट के साथ संपन्न हुआ। सेंसेक्स उतार-चढ़ाव भरे कारोबारी सत्र में 191.51 अंक की गिरावट के साथ 77,414.92 अंक पर बंद हुआ।
यह वित्त वर्ष 2024-25 का अंतिम कारोबारी सत्र रहा। वित्त वर्ष के अंतिम दिन सोमवार को ईद-उल-फितर के मौके पर बाजार बंद रहेगा।
बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण इस वित्त वर्ष में 25,90,546.73 करोड़ रुपये बढ़कर 4,12,87,646.50 करोड़ रुपये (4.82 लाख करोड़ डॉलर) हो गया।
मास्टर कैपिटल सर्विसेज लिमिटेड की निदेशक पलक अरोड़ा चोपड़ा ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2024-25 नए बाजार प्रतिभागियों के लिए एक आंख खोलने वाला साल साबित हुआ, जिसने लगातार तेजी के अभ्यस्त निवेशकों को गिरावट से भी परिचित कराया। जहां मजबूत खुदरा भागीदारी और घरेलू प्रवाह से इक्विटी बाजारों में तेजी रही वहीं विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) सतर्क हो गए और तेजी के माहौल एवं वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच बिकवाली की।’
चोपड़ा ने कहा कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में कंपनियों के उम्मीद से कमतर प्रदर्शन ने मूल्यांकन पर दबाव को और बढ़ा दिया। वित्त वर्ष के अंत में नए अमेरिकी प्रशासन के नीतिगत कदमों ने अस्थिरता को बढ़ाने का काम किया।
पिछले साल 27 सितंबर को सेंसेक्स ने 85,978.25 का अपना सर्वकालिक उच्च स्तर छुआ था। विदेशी निवेशकों के घरेलू बाजार से निकलने और इक्विटी के मूल्यांकन में बढ़ोतरी की चिंताओं के बीच अक्टूबर से शेयर बाजार में सुस्ती आने लगी। अकेले अक्टूबर 2024 में ही बीएसई सेंसेक्स 4,910.72 अंक यानी 5.82 प्रतिशत गिर गया था।
हालांकि वित्त वर्ष में समग्र बाजार के सकारात्मक रुझान में भारी खुदरा निवेशकों की भागीदारी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साथ ही, कई आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) आने और शेयरों की सूचीबद्धता ने इक्विटी बाजारों में आशावाद पैदा किया।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
रमण

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