सिंगापुर, 13 सितंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने शुक्रवार को कहा कि भारत में मुद्रास्फीति कम हुई है, लेकिन हमें अभी सफर पूरा करना है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित भारत की खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में 3.65 प्रतिशत रही। यह लगातार दूसरा महीना है, जब मुद्रास्फीति चार प्रतिशत से कम रही।
सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि मुद्रास्फीति चार प्रतिशत पर बनी रहे, जिसमें ऊपर नीचे की और दो प्रतिशत की घटबढ़ हो सकती है।
दास ने यहां ब्रेटन वुड्स कमेटी के कार्यक्रम ‘फ्यूचर ऑफ फाइनेंस फोरम 2024’ में अपने संबोधन के दौरान कहा, ”मुद्रास्फीति अप्रैल 2022 में अपने चरम 7.8 प्रतिशत से कम होकर चार प्रतिशत के लक्ष्य के आसपास संतोषजनक स्तर पर आ गई है, लेकिन हमें अभी भी सफर तय करना है और हम दूसरी तरफ देखने का जोखिम नहीं उठा सकते।”
आरबीआई के अनुमानों से संकेत मिलता है कि मुद्रास्फीति 2023-24 में 5.4 प्रतिशत से घटकर 2024-25 में 4.5 प्रतिशत और 2025-26 में 4.1 प्रतिशत हो जाएगी।
गवर्नर ने कहा कि वैश्विक आर्थिक गतिविधि और व्यापार ने बड़े पैमाने पर नकारात्मक जोखिमों को झेला है, लेकिन मुद्रास्फीति का अंतिम पड़ाव चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है। इससे वित्तीय स्थिरता के जोखिम भी पैदा हुए हैं।
दास ने कहा, ”वैश्विक मुद्रास्फीति में कमी की गति धीमी हो रही है, जिससे मौद्रिक नीति को उदार बनाने में सावधानी बरतने की आवश्यकता है।”
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंकों को मौद्रिक नीति का प्रबंधन सोच-विचार करके करना चाहिए और सरकार को आपूर्ति पक्ष के उपायों पर ध्यान देना चाहिए।
दास ने कहा कि दरों में कटौती के लिए बाजार की उम्मीदें अब बढ़ रही हैं और खासकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा नीतिगत बदलाव के संकेतों के बाद ऐसा देखने को मिल रहा है।
भाषा पाण्डेय रमण
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