कर्ज आवेदनों में आय को बढ़ा-चढ़ाकर बताना 60 प्रतिशत लोगों के लिए सामान्य: सर्वेक्षण

कर्ज आवेदनों में आय को बढ़ा-चढ़ाकर बताना 60 प्रतिशत लोगों के लिए सामान्य: सर्वेक्षण

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  • Publish Date - September 20, 2024 / 04:37 PM IST,
    Updated On - September 20, 2024 / 04:37 PM IST

मुंबई, 20 सितंबर (भाषा) देश में पांच में से तीन उपभोक्ताओं का मानना ​​है कि कर्ज के लिए आवेदनों में आय को बढ़ा-चढ़ाकर बताना सामान्य बात है। वित्तीय धोखाधड़ी को लेकर लोगों की राय जानने के लिए किए गए एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

वैश्विक विश्लेषण सॉफ्टवेयर कंपनी एफआईसीओ के एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि एक चौथाई से अधिक (27 प्रतिशत) भारतीयों का मानना ​​है कि लोगों द्वारा आवास ऋण या अन्य कर्ज के आवेदनों में जानबूझकर अपनी आय को गलत तरीके से प्रस्तुत करना सामान्य बात है।

रिपोर्ट के अनुसार, “पांच में से तीन उपभोक्ता (63 प्रतिशत) मानते हैं कि कर्ज के लिए आवेदनों में अपनी आय को बढ़ा-चढ़ाकर बताना ठीक या सामान्य बात है, जो वैश्विक औसत 39 प्रतिशत से काफी अधिक है।”

भारत में 1,000 लोगों पर किए गए वैश्विक सर्वेक्षण में कहा गया है कि आधे से ज्यादा (54 प्रतिशत) लोगों का मानना ​​है कि बीमा दावों में गड़बडी करना सामान्य बात है। कई भारतीय व्यक्तिगत ऋण आवेदनों में आय को बढ़ा-चढ़ाकर बताना ठीक मानते हैं, जिससे वित्तीय ईमानदारी और भी जटिल हो जाती है।

केवल एक तिहाई (33 प्रतिशत) उपभोक्ताओं का मानना ​​है कि व्यक्तिगत कर्ज आवेदन में आय को बढ़ा-चढ़ाकर बताना कभी भी स्वीकार्य नहीं है, जबकि एक तिहाई (35 प्रतिशत) इसे विशिष्ट परिस्थितियों में स्वीकार्य मानते हैं।

एफआईसीओ में जोखिम जीवनचक्र और निर्णय प्रबंधन के लिए एशिया प्रशांत क्षेत्र के प्रमुख आशीष शर्मा ने कहा, “साठ प्रतिशत से अधिक भारतीय उपभोक्ता आय को गलत बताने को स्वीकार्य या उचित मानते हैं। बैंकों को ‘झूठे ऋणों’ की वास्तविक समस्या का सामना करना पड़ रहा है, जो जोखिम मूल्यांकन को गलत कर सकता है और खराब ऋण दरों को बढ़ा सकता है।”

सर्वेक्षण में लगभग 1,000 भारतीय वयस्कों के साथ-साथ कनाडा, अमेरिका, ब्राजील, कोलंबिया, मेक्सिको, फिलीपीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रिटेन और स्पेन के लगभग 12,000 अन्य उपभोक्ताओं को शामिल किया गया।

वैश्विक स्तर पर दृष्टिकोण उल्लेखनीय रूप से भिन्न हैं। सर्वेक्षण से पता चलता है कि अधिकांश उपभोक्ता (56 प्रतिशत) ऋण आवेदनों पर आय को बढ़ा-चढ़ाकर बताने के विचार को दृढ़ता से अस्वीकार करते हैं, इसे कभी भी इसे स्वीकार नहीं करते।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल चार में से एक (24 प्रतिशत) इसे कुछ परिस्थितियों में स्वीकार्य मानते हैं और केवल सात में से एक (15 प्रतिशत) इसे एक सामान्य मानते हैं।

भाषा अनुराग रमण

रमण

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