नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2024-25 में कहा गया है कि नवाचार, नई दवा विकास और बायोफार्मास्युटिकल्स पर ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि भारत में अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) पर खर्च अब भी दुनिया के अन्य अग्रणी देशों से कम है।
पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में फार्मास्यूटिकल्स का कुल वार्षिक कारोबार 4.17 लाख करोड़ रुपये रहा। यह पिछले पांच वर्षों में औसतन 10.1 प्रतिशत की दर से बढ़ा है।
कुल कारोबार में निर्यात का हिस्सा 50 प्रतिशत रहा, जिसका मूल्य वित्त वर्ष 2023-24 में 2.19 लाख करोड़ रुपये रहा। फार्मास्युटिकल्स का कुल आयात 58,440.4 करोड़ रुपये का रहा।
समीक्षा में कहा गया, “भारत का कुल फार्मा परिदृश्य नवाचार, नई दवा विकास और बायोफार्मास्युटिकल्स पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता की ओर इशारा करता है, क्योंकि आरएंडडी खर्च के मामले में भारत अब भी वैश्विक अगुवाओं से पीछे है।”
इसमें कहा गया है कि सरकार ने इस क्षेत्र को समर्थन देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना और ‘फार्मास्युटिकल्स उद्योग को मजबूत बनाने’ (एसपीआई) जैसे विभिन्न उपाय किए हैं।
सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताते हुए समीक्षा में कहा गया है कि अक्टूबर, 2023 में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित सीएआर-टी सेल थेरेपी को मंजूरी दी है।
भाषा अनुराग अजय
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