भारत की लॉजिस्टिक लागत दो साल में घटकर एकल अंक में आएगी: गडकरी

भारत की लॉजिस्टिक लागत दो साल में घटकर एकल अंक में आएगी: गडकरी

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  • Publish Date - October 17, 2024 / 02:14 PM IST,
    Updated On - October 17, 2024 / 02:14 PM IST

(फाइल फोटो के साथ)

नयी दिल्ली, 17 अक्टूबर (भाषा) केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत की ‘लॉजिस्टिक’ लागत अगले दो साल में घटकर एकल अंक में आ जाएगी।

नीति आयोग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में गडकरी ने कहा कि मंत्रालय कई राजमार्गों तथा एक्सप्रेसवे का निर्माण कर रहा है, जिससे भारत की लॉजिस्टिक लागत को कम करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘ दो साल के भीतर हम अपनी लॉजिस्टिक लागत को नौ प्रतिशत तक कम करने जा रहे हैं।’’

आर्थिक शोध संस्थान ‘नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च’ (एनसीएईआर) के अनुमानों के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत में लॉजिस्टिक लागत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 7.8 प्रतिशत से 8.9 प्रतिशत के बीच थी।

गडकरी ने कहा कि भारत के लिए वैकल्पिक ईंधन और जैव ईंधन के निर्यात की अपार संभावनाएं हैं।

उन्होंने कहा कि निम्न गुणवत्ता वाले कोयले का इस्तेमाल मेथनॉल बनाने के लिए किया जा सकता है।

मंत्री ने कहा कि भारत जैव ईंधन क्षेत्र में, खासकर मेथनॉल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है।

गडकरी ने साथ ही कहा कि उनका लक्ष्य भारतीय मोटर वाहन उद्योग को विश्व में पहले स्थान पर लाना है।

उन्होंने कहा कि भारत पिछले वर्ष जापान को पीछे छोड़कर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मोटर वाहन बाजार बन गया था और केवल अमेरिका तथा चीन से पीछे था।

गडकरी ने कहा कि भारत के मोटर वाहन उद्योग का आकार 2014 में 7.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024 में 18 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। यह उद्योग अधिकतम संख्या में रोजगार सृजन कर रहा है।

मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सड़क निर्माण में पुनर्चक्रण किए गए टायर पाउडर तथा प्लास्टिक जैसी सामग्रियों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे ‘बिटुमेन’ के आयात में कमी लाने में मदद मिलती है।

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि फसल अपशिष्ट का इस्तेमाल करने की पहल देशभर के किसानों की आय बढ़ाने में कैसे मदद कर रही है।

गडकरी ने पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की समस्या पर भी बात की।

उन्होंने कहा कि अभी हम पराली का पांचवां हिस्सा ही संसाधित कर सकते हैं, लेकिन बेहतर योजना के साथ, हम पराली को वैकल्पिक ईंधन के लिए कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल कर इससे होने वाले वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं।’’

मंत्री ने कहा कि भारत को एक ऐसी नीति के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है जो लागत प्रभावी, स्वदेशी, आयात विकल्प तथा रोजगार सृजन करने वाली हो ताकि बढ़ते प्रदूषण तथा जीवाश्म ईंधन आयात के प्रमुख मुद्दों का समाधान किया जा सके।

भाषा निहारिका अजय

अजय