नयी दिल्ली, 15 जनवरी (भाषा) देश का पहला ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र इस साल मार्च में शुरू हो सकता है। एक सरकारी अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि इन केंद्रों की प्रायोगिक शुरुआत (पायटल लॉन्च) को पांच कंपनियों – दिल्ली में लॉजिस्टिक्स एग्रीगेटर शिपरॉकेट और हवाई माल ढुलाई कंपनी कार्गो सर्विस सेंटर; बेंगलुरु में डीएचएल और लेक्सशिप; और मुंबई में गोग्लोकल के लिए मंजूरी दी गई है।
उन्होंने कहा कि वाणिज्य और राजस्व विभाग, नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) के साथ मिलकर इन केंद्रों को चालू करने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने पर काम कर रहे हैं।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, “उम्मीद है कि इस साल मार्च तक पहला ई-कॉमर्स केंद्र परिचालन में आ जाएगा।”
इन केंद्रों की प्रमुख विशेषताओं में प्रवेश द्वार वाले बंदरगाहों पर कोई सीमा शुल्क/बीसीएएस जांच के बिना स्व-सीलिंग, वापसी के लिए आसान पुनः आयात नीति, तथा गुणवत्ता और प्रमाणन एजेंसियों के लिए ऑनसाइट चौकियां शामिल होंगी।
यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत इस क्षेत्र में बढ़ते निर्यात अवसरों का लाभ उठाना चाहता है।
ई-कॉमर्स निर्यात में 2030 तक 100 अरब डॉलर से अधिक और फिर आने वाले वर्षों में 200-250 अरब डॉलर तक बढ़ने की क्षमता है।
इस माध्यम से भारत का निर्यात सालाना चीन के 250 अरब डॉलर की तुलना में केवल पांच अरब डॉलर है।
सारंगी ने कहा कि निदेशालय ट्रेड कनेक्ट ई-मंच के दूसरे चरण को शुरू करने के लिए काम कर रहा है।
निर्यात और आयात से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी प्रदान करने के लिए पिछले साल सितंबर में पहला चरण शुरू किया गया था।
डीजीएफटी ने डायमंड इम्प्रेस्ट ऑथराइजेशन (डीआईए) योजना शुरू करने की भी घोषणा की।
उन्होंने कहा, “इसे एक अप्रैल से लागू किया जाएगा। इसके लिए सॉफ्टवेयर मॉड्यूल पर काम चल रहा है और हम इसे अगले वित्त वर्ष से क्रियान्वित कर देंगे।”
इस योजना के तहत 10 प्रतिशत मूल्य संवर्धन के साथ एक निर्दिष्ट सीमा तक कटे और पॉलिश किए गए हीरों के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति है।
इसका उद्देश्य भारत को हीरा प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
भाषा अनुराग अजय
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