(उज्मी अतहर)
नयी दिल्ली, 20 अक्टूबर (भाषा) भारत के जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है और देश की जैव अर्थव्यवस्था का मूल्य अब बढ़कर 150 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है।
सरकार के जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) के प्रबंध निदेशक जितेंद्र कुमार ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि नवोन्मेषण और उत्पाद विकास में अब भी काफी क्षमता बची हुई है, जो इस क्षेत्र में भारत की वैश्विक स्थिति को और बढ़ा सकती है।
बीआईआरएसी की स्थापना जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने एक गैर-लाभकारी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के रूप में की है। संगठन इस क्षेत्र में नवाचार, उद्यमिता और शोध को बढ़ावा देता है।
कुमार ने पीटीआई-भाषा के साथ साक्षात्कार के दौरान वैश्विक स्वास्थ्य सेवा में भारत के महत्वपूर्ण योगदान पर बात की। उन्होंने बताया कि दुनिया की 40 प्रतिशत जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति भारतीय कंपनियां करती हैं।
कुमार ने कहा, ‘‘हमारे पास अपार संभावनाएं और योग्यताएं हैं, लेकिन जब हमारी जैव अर्थव्यवस्था के मूल्य की बात आती है, तो हम वैश्विक स्तर पर 14वें स्थान पर हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि अधिकांश मूल्य पेटेंट किए गए और नये उत्पादों से मिलता है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां भारत को अब भी सुधार करने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा कि इसलिए सरकार और बीआईआरएसी की ओर से नवोन्मेषण को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं।
भाषा पाण्डेय अजय
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