नयी दिल्ली, 11 अक्टूबर (भाषा) भारतीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र में चालू कैलेंडर साल की तीसरी जुलाई-सितंबर तिमाही में 63.5 करोड़ डॉलर के सौदे हुए, जो सालाना आधार पर 31 प्रतिशत की वृद्धि है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
परामर्श कंपनी ग्रांट थॉर्नटन ने प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए तीसरी तिमाही की सौदे के बारे में रिपोर्ट में कहा कि इस तिमाही में 2023 की दूसरी तिमाही के बाद से सबसे अधिक सौदे हुए, लेकिन वर्ष 2024 के लिए सबसे कम सौदे रहे। यह बड़े पैमाने पर अधिग्रहण के बजाय अधिक रणनीतिक निवेश को दर्शाता है।
ग्रांट थॉर्नटन भारत के भागीदार राजा लाहिड़ी ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा हाल ही में ब्याज दर में कटौती और भारत में चुनाव के बाद की स्थिरता ने सौदों के परिदृश्य में नई गति ला दी है, जिससे मूल्य और मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा, “भारत में चुनाव के बाद, हमने पिछली (अप्रैल-जून) तिमाही की तुलना में मात्रा और मूल्य दोनों के संदर्भ में सौदा गतिविधियों में वृद्धि देखी। इस साल की तीसरी तिमाही में 63.5 करोड़ डॉलर मूल्य के 79 सौदे हुए, जो मात्रा में पांच प्रतिशत और मूल्य में 31 प्रतिशत की वृद्धि है।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल सौदों में से 12 का मूल्य दो करोड़ डॉलर से अधिक था।
इस साल की पहली तिमाही में उल्लेखनीय गिरावट के बाद विलय और अधिग्रहण (एम एंड ए) गतिविधियों में उछाल आया है। यह क्रमिक रूप से 44 प्रतिशत बढ़कर 2024 की तीसरी तिमाही में 26 सौदों तक पहुंच गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, विलय एवं अधिग्रहण (एमएंडए) में सौदा मूल्य 205 प्रतिशत बढ़कर 11.6 करोड़ डॉलर हो गया, जो दूसरी तिमाही में 3.8 करोड़ डॉलर था। एमएंडए संख्या में सालाना आधार पर 53 प्रतिशत की वृद्धि हुई, लेकिन मूल्य में 89 प्रतिशत की कमी आई, जो बड़े सौदों की कमी दिखाता है।
इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 65 प्रतिशत लेन-देन में सौदे के मूल्य का खुलासा नहीं किया गया। यह भी कुल सौदा मूल्यांकन में गिरावट का कारण है।
भाषा अनुराग अजय
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