भारतीय विनिर्माता अपना ‘निष्क्रिय’ रवैया छोड़ें : उपभोक्ता मामलों की सचिव

भारतीय विनिर्माता अपना ‘निष्क्रिय’ रवैया छोड़ें : उपभोक्ता मामलों की सचिव

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  • Publish Date - December 19, 2024 / 07:39 PM IST,
    Updated On - December 19, 2024 / 07:39 PM IST

नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने बृहस्पतिवार को भारतीय विनिर्माताओं से अपने ‘निष्क्रिय’ रवैये को छोड़ने और विशेष रूप से कृत्रिम मेधा (एआई) जैसे क्षेत्रों में वैश्विक मानकों को स्थापित करने की अपनी क्षमता को पहचानने को कहा।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम में खरे ने अंतरराष्ट्रीय मानक बैठकों में शीर्ष पांच देशों में भारत की अनुपस्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इसमें यूरोपीय देशों का वर्चस्व था।

उन्होंने कहा, ‘‘पहली बार, कम से कम अब चिंता है कि हमें स्थिति को बदलना होगा। हमारे पास क्षमता है, हमारे पास दिमाग है।’’

वरिष्ठ नौकरशाह ने बताया कि एआई क्षेत्र में भारत की बेहतर प्रतिभा के बावजूद, ‘‘कांच की छत’’ बरकरार है जिसे तोड़ने की जरूरत है।

जर्मनी में हाल ही में हुई एक बैठक के अपने अनुभव को साझा करते हुए, खरे ने कहा कि जहां विदेशी उद्योग प्रतिनिधि अपने उत्पादों और नियामकीय चुनौतियों पर सक्रिय रूप से चर्चा करते हैं, वहीं भारतीय समकक्ष चुप रहते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हम इसलिए नहीं जागे क्योंकि बहुत अधिक निष्क्रियता है। हमें दूसरों को दोष देना अच्छा लगता है।’’ उन्होंने भारतीय निर्माताओं की इस प्रवृत्ति की आलोचना की कि वे सुधार की जिम्मेदारी लेने के बजाय दूसरों को दोष देते हैं।

आयुष क्षेत्र का उदाहरण देते हुए उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे भारत को अक्सर अन्य देशों द्वारा निर्धारित मानकों का अनुपालन करना पड़ता है, भले ही वे स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप न हों।

उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने मानक बनाए हैं और उन्होंने दुनिया को उन मानकों का अनुपालन करने के लिए बाध्य किया है। भले ही हमने कभी 10 डिग्री से कम तापमान का अनुभव न किया हो, लेकिन फिर भी मानक शून्य से नीचे 40 डिग्री के अनुरूप हैं।’’

नीतिगत मोर्चे पर, खरे ने गुणवत्ता अनुपालन को मजबूत करने के लिए सरकारी पहल को रेखांकित किया, जिसमें सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) के साथ भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) का एकीकरण शामिल है।

उन्होंने विश्वस्तरीय सेवाएं प्रदान करने के लिए निजी प्रयोगशालाओं और राष्ट्रीय परीक्षण गृहों को शामिल करते हुए परीक्षण बुनियादी ढांचे के विस्तार पर भी प्रकाश डाला।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय