भारतीय वित्तीय प्रणाली पहले से अधिक मजबूतः आरबीआई डिप्टी गवर्नर

भारतीय वित्तीय प्रणाली पहले से अधिक मजबूतः आरबीआई डिप्टी गवर्नर

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  • Publish Date - July 25, 2024 / 07:58 PM IST,
    Updated On - July 25, 2024 / 07:58 PM IST

मुंबई, 25 जुलाई (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा है कि भारतीय वित्तीय प्रणाली पहले से अधिक मजबूत नजर आती है और देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर मजबूत चुनौतियों के बावजूद दूसरों से अलग बनी हुई है।

राव ने यहां ‘जे पी मॉर्गन इंडिया लीडरशिप सीरीज’ व्याख्यान देते हुए कहा कि भारत ने वर्ष 2024 में जी20 सदस्यों के बीच उच्चतम जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (सीसीपीआई) स्कोर हासिल किया है, जो इस दिशा में देश की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

उन्होंने ‘जलवायु परिवर्तन – उभरती चुनौती’ विषय पर व्याख्यान में कहा, ‘‘यह दर्शाता है कि आर्थिक नीतियों को जलवायु कार्रवाई के साथ जोड़कर हम हरित निवेश को बढ़ावा दे सकते हैं, ऊर्जा दक्षता बढ़ा सकते हैं और सभी क्षेत्रों में सतत विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।’’

राव ने कहा कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली को विभिन्न क्षेत्रों से कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिनमें सार्वजनिक ऋण का उच्चस्तर, परिसंपत्तियों का उच्च मूल्यांकन, आर्थिक एवं वित्तीय विखंडन, भू-राजनीतिक तनाव और बढ़ते साइबर खतरों से उत्पन्न होने वाले जोखिम शामिल हैं।

उन्होंने पिछले सप्ताह आयोजित इस कार्यक्रम में कहा, ‘‘इन वैश्विक चुनौतियों के बीच, भारतीय अर्थव्यवस्था एक अलग पहचान रखती है, जो मजबूत वृहद-आर्थिक बुनियादी बिंदुओं को दर्शाती है। आर्थिक गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं, जिसे एक वित्तीय प्रणाली का समर्थन प्राप्त है जो पहले की तुलना में अधिक मजबूत दिखाई देती है।’’

उन्होंने कहा कि भारतीय बैंकिंग क्षेत्र ने, खासकर पूंजी पर्याप्तता, परिसंपत्ति गुणवत्ता और लाभप्रदता जैसे प्रमुख मापदंडों में महत्वपूर्ण सुधार दर्शाया है, जिसे मजबूत वृहद आर्थिक बुनियादी बातों और व्यावसायिक विश्वास का समर्थन हासिल है।

उन्होंने कहा, ‘‘वित्तीय प्रणाली के मजबूत प्रदर्शन और स्वस्थ वित्तीय स्थिति के बावजूद एक नियामक और पर्यवेक्षक के रूप में हमें क्षितिज पर जोखिमों के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। हम असुरक्षित खुदरा ऋणों के कुछ क्षेत्रों में मजबूत ऋण वृद्धि पर अपनी चिंताओं को चिह्नित कर रहे हैं। प्रौद्योगिकी के उपयोग में वृद्धि ने साइबर जोखिमों के खतरे को भी बढ़ा दिया है।’’

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय