चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर आधार पर 6.5-7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी: सीईए नागेश्वरन |

चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर आधार पर 6.5-7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी: सीईए नागेश्वरन

चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर आधार पर 6.5-7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी: सीईए नागेश्वरन

:   Modified Date:  September 27, 2024 / 02:04 PM IST, Published Date : September 27, 2024/2:04 pm IST

(फाइल फोटो के साथ)

कोलकाता, 27 सितंबर (भाषा) केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन ने शुक्रवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय अर्थव्यवस्था के स्थिर आधार पर 6.5 से सात प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए यह वृद्धि दर सराहनीय है।

बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (बीसीसीआई) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को ऑनलाइन संबोधित करते हुए नागेश्वरन ने कहा कि वास्तविक रूप से अर्थव्यवस्था 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जबकि मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए मौजूदा कीमतों पर (नॉमिनल) वृद्धि दर 11 प्रतिशत होगी।

नागेश्वरन ने कहा, ‘‘ भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में स्थिर आधार पर 6.5 से सात प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। वर्तमान वैश्विक संदर्भ में यह बेहद अच्छी उपलब्धि है।’’

उन्होंने कहा कि जबकि विश्व मध्यम अवधि की अनिश्चितताओं का सामना कर रहा है और वैश्विक व्यापार धीमा पड़ रहा है, भारत में कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रभावों से उबरना सरकार द्वारा अपनाई गई संतुलित राजकोषीय तथा मौद्रिक नीतियों के दम पर मजबूत हो गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘ भारत में वैश्विक महामारी के प्रभावों से उबरना विवेकपूर्ण व्यापक आर्थिक प्रबंधन के कारण मजबूत है, जिसने स्थिरता के साथ आर्थिक वृद्धि की नींव रखी।’’

नागेश्वरन ने कहा कि घरेलू वित्तीय बाजारों और बैंकिंग प्रणाली की अच्छी स्थिति के कारण देश के चालू खाता शेष में कोई कमजोरी नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘ वृहद संकेतक स्थिरता का संकेत देते हैं। पूंजीगत व्यय में भारी बदलाव आया है, जीडीपी के मुकाबले बाह्य ऋण का अनुपात कम हुआ है और खुदरा मुद्रास्फीति कम हुई है।’’

उन्होंने कहा कि इन सभी कारणों से देश की ऋण प्रणाली को उन्नत करने की आवश्यकता है।

कृत्रिम मेधा (एआई) पर नागेश्वरन ने कहा कि इससे श्रम का विस्थापन हो सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ सामाजिक जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए प्रौद्योगिकी और श्रम के बीच उचित संतुलन बनाना होगा।’’

भाषा निहारिका मनीषा

मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

Flowers