भारतीय कंपनियों को वैश्विक स्तर पर ही नहीं, आपस में भी सहयोग करने जरूरत : गोयल |

भारतीय कंपनियों को वैश्विक स्तर पर ही नहीं, आपस में भी सहयोग करने जरूरत : गोयल

भारतीय कंपनियों को वैश्विक स्तर पर ही नहीं, आपस में भी सहयोग करने जरूरत : गोयल

:   Modified Date:  August 30, 2024 / 02:08 PM IST, Published Date : August 30, 2024/2:08 pm IST

(फाइल फोटो के साथ)

नयी दिल्ली, 30 अगस्त (भाषा) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को घरेलू कंपनियों से एक-दूसरे का समर्थन करने और सामान खरीदने का आह्वान करते हुए कहा कि इससे उन्हें दीर्घावधि में लाभ होगा तथा वैश्विक महामारी जैसी किसी भी बाधा से सुरक्षा मिलेगी।

उन्होंने भारतीय उद्योग जगत को देश में हाल ही में स्वीकृत 12 औद्योगिक शहरों (टाउनशिप) में कारोबारी अवसर तलाशने का सुझाव भी दिया, क्योंकि इससे विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा।

मंत्री ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

गोयल ने उद्योग जगत के लोगों को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ हमें भारत को एक ब्रांड बनाने की जरूरत है। हमें एक-दूसरे का समर्थन करने की जरूरत है। उद्योग जगत को न केवल अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ, बल्कि एक-दूसरे के साथ भी भागीदार बनने की जरूरत है। आप सभी को एक-दूसरे का समर्थन करने की जरूरत है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ एक भारतीय कंपनी द्वारा किसी अन्य भारतीय कंपनी से उत्पाद खरीदने से वास्तव में ऐसा परिदृश्य बनाने में मदद मिलेगी, जो किसी भी व्यवधान से दीर्घावधि में खुद को सुरक्षित रखने में मदद करेगा। दो युद्ध, लाल सागर संकट, एमपॉक्स (मंकीपॉक्स), चारों ओर मंडरा रही एक नई वैश्विक महामारी….हमारे पास विश्व को लेकर चिंतित होने के लिए पर्याप्त बातें हैं।’’

मंत्री ने कहा कि देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) तेज गति से बढ़ रहा है, लेकिन विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि एक स्तर पर ही बनी हुई है।

गोयल ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र का योगदान करीब 15-16 प्रतिशत है और यह प्रवृत्ति पिछले 20 वर्षों से बनी हुई है, ‘‘ जिसका अर्थ है कि सकल घरेलू उत्पाद तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन विनिर्माण उसी स्तर पर कायम है।’’

उन्होंने कहा कि एक और अच्छी बात है कि यह स्तर कायम है, लेकिन दूसरी ओर 1.4 अरब की आबादी वाले देश में जहां युवा पुरुष तथा महिलाएं प्रतिभा और कौशल के साथ कॉलेज से निकल रहे हैं… ‘‘मुझे लगता है कि भारत और भी बेहतर कर सकता है।’’

भाषा निहारिका अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)