(मनोज राममोहन)
नयी दिल्ली, आठ दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) के प्रमुख अजय भूषण प्रसाद पांडेय ने कहा कि भारत की लेखापरीक्षा को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने से निवेशकों का विश्वास बढ़ाने, अधिक धन आकर्षित करने तथा वित्तीय आंकड़ों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि जब देश का लक्ष्य ‘विकसित भारत’ बनना है तो ‘निम्न मानक’ नहीं अपनाए जा सकते।
एनएफआरए का गठन अक्टूबर, 2018 में कंपनी कानून के तहत किया गया था। नियामक ने 80 से अधिक आदेश पारित किए हैं।
पांडेय ने पीटीआई-भाषा से कहा कि मौजूदा लेखापरीक्षा मानकों में कुछ खामियां हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, कई मानकों को उन खामियों को दूर करने के लिए अद्यतन किया गया था जिनके कारण विभिन्न घोटाले हुए थे।
एनएफआरए के चेयरपर्सन ने कहा, “भारत में, हमें अभी भी विभिन्न क्षेत्रों में मानकों को बदलना है। पिछले 20 वर्षों में, इनमें से कई मानक दुनिया के अधिकांश हिस्सों में मौजूद हैं। हम विकसित भारत बनना चाहते हैं, और हमारे मानक भी वैश्विक मानकों के अनुरूप होने चाहिए। हम घटिया मानक नहीं रख सकते।”
उनके अनुसार, एनएफआरए बोर्ड ने आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक), सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) और सीएजी (नियंत्रक और महालेखा परीक्षक) के साथ विस्तृत चर्चा के बाद कुछ मानकों में बदलाव को मंजूरी दी।
चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की शीर्ष संस्था आईसीएआई ने कुछ मानकों में बदलाव को लेकर चिंता जताई है।
पांडेय ने कहा, “हमने मानकों की समीक्षा की और पाया कि लगभग 40 ऑडिटिंग मानक हैं। हमने पाया कि एसए 600 और एसए 299 जैसे दो या तीन मानक हैं जो अंतरराष्ट्रीय मानकों से पूरी तरह अलग हैं। ऐसे अन्य मानक भी थे जिनमें बहुत अधिक भिन्नताएं थीं।”
उन्होंने कहा, “कई महीनों तक, हमने आरबीआई, सेबी और सीएजी के साथ विस्तृत चर्चा की क्योंकि तीनों हमारे बोर्ड में प्रतिनिधित्व करते हैं। मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई कि वे दृढ़ता से इस बात पर सहमत थे कि हमें अपने मानकों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना चाहिए।”
एसए 600 समूह कंपनियों और तीन अन्य लेखापरीक्षा मानकों के लेखापरीक्षा से संबंधित है, जबकि एसए 299 लेखापरीक्षकों की संयुक्त देयता से संबंधित है।
भाषा अनुराग पाण्डेय
पाण्डेय