नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) मूल्य दबाव के बावजूद भारत इस्पात का शुद्ध आयातक बना हुआ है। संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक सर्मीक्षा 2024-25 में यह बात कही गई है।
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए इस बजट पूर्व दस्तावेज में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान तैयार इस्पात के निर्यात में गिरावट मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कीमतों के बीच अंतर के कारण हुई।
आर्थिक समीक्षा कहती है कि भारत चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से नवंबर अवधि के दौरान इस्पात का शुद्ध आयातक रहा है, भले ही कंपनियों को मूल्य दबाव और कमजोर वैश्विक कीमतों का सामना करना पड़ा हो।
इस अवधि के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम कीमत के परिणामस्वरूप निर्यात पर कम मार्जिन रहा और सस्ता आयात हुआ।
विनिर्माण में क्षमता उपयोग दीर्घकालिक औसत से ऊपर बना हुआ है, और निजी क्षेत्र की ऑर्डर बुक ने निवेश इरादों में वृद्धि के साथ-साथ स्थिर वृद्धि दिखाई है।
हालांकि, आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि इस्पात जैसे क्षेत्रों में वैश्विक अतिरिक्त क्षमता के कारण ये लाभ कम हो सकते हैं।
भारत में इस्पात की मांग के बारे में आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि यह मजबूत गति से बढ़ रही है, जो बुनियादी ढांचे पर केंद्रित विकास रणनीति से प्रेरित है।
दस्तावेज़ में कहा गया है कि प्रमुख उपयोगकर्ता उद्योगों, विशेष रूप से भवन और निर्माण, और बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण प्रगति से इस वृद्धि को और बढ़ावा मिला है।
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