भारत 2040 तक एक करोड़ टन टिकाऊ विमानन ईंधन का उत्पादन कर सकेगाः रिपोर्ट

भारत 2040 तक एक करोड़ टन टिकाऊ विमानन ईंधन का उत्पादन कर सकेगाः रिपोर्ट

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  • Publish Date - October 8, 2024 / 04:16 PM IST,
    Updated On - October 8, 2024 / 04:16 PM IST

नयी दिल्ली, आठ अक्टूबर (भाषा) भारत वर्ष 2040 तक 80 लाख से एक करोड़ टन तक टिकाऊ विमानन ईंधन (एसएएफ) का उत्पादन करने की क्षमता हासिल कर सकता है लेकिन इसके लिए उसे 70-85 अरब डॉलर निवेश की जरूरत होगी। एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है।

सलाहकार फर्म डेलॉयट इंडिया की तरफ से मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि 80 लाख-एक करोड़ टन एसएएफ का उत्पादन देश की अनुमानित घरेलू मांग को पार कर जाएगा। वर्ष 2040 में विमानन ईंधन में 15 प्रतिशत एसएएफ का मिश्रण करने के आदेश के अनुरूप 45 लाख टन की जरूरत होगी।

रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा होने पर भारत वैश्विक बाजारों की सेवा करने वाले एक प्रमुख एसएएफ निर्यातक के रूप में भी स्थापित हो सकता है।

हालांकि, रिपोर्ट कहती है कि एसएएफ की अनुमानित उत्पादन क्षमता को साकार करने के लिए छह-सात लाख करोड़ रुपये (70-85 अरब डॉलर) के निवेश की जरूरत पड़ेगी। यह विमानन क्षेत्र में कार्बन कटौती की कोशिशों को तेज करेगा और कार्बन उत्सर्जन में सालाना 2.0-2.5 करोड़ टन की कमी आएगी।

भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते विमानन बाजारों में से एक है और इस क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन कम करने के प्रयास चल रहे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, छह-सात लाख करोड़ रुपये के अनुमानित पूंजी निवेश से मूल्य श्रृंखला में 11-14 लाख नौकरियों के सृजन और कच्चे तेल के आयात बिल में सालाना पांच-सात अरब डॉलर की कमी करने में भी मदद मिलेगी।

इसके अलावा, एसएएफ उत्पादन में कृषि अवशिष्टों का कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल होने से किसानों की आय में 10-15 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। यह पराली को जलाने की वर्तमान प्रथा का एक स्थायी विकल्प भी हो सकता है।

डेलॉयट इंडिया में साझेदार प्रशांत नुटुला ने कहा कि टिकाऊ विमानन ईंधन का उत्पादन करने की मुहिम तेजी से वैश्विक स्तर पर और भारत में एक वास्तविकता बन रही है। वैश्विक विमानन ईंधन बाजार में दो-तीन प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ भारत एसएएफ एवं अन्य विमानन ईंधन बाजार में अनुकूल स्थिति में है।

भाषा प्रेम

प्रेम अजय

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