नयी दिल्ली, सात नवंबर (भाषा) नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बी वी आर सुब्रह्मण्यम ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत को क्षेत्रीय वृहद आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) और प्रशांत-पारीय साझेदारी के लिए व्यापक एवं प्रगतिशील समझौते (सीपीटीपीपी) का हिस्सा होना चाहिए।
भारत 2013 में वार्ता में शामिल होने के बाद 2019 में आरसीईपी से बाहर निकल गया था। आरसीईपी में 10 आसियान समूह के सदस्य (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमा, सिंगापुर, थाइलैंड, फिलिपीन, लाओस और वियतनाम) और उनके छह मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) साझेदार – चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं।
उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सुब्रह्मण्यम ने कहा, ‘‘ भारत को आरसीईपी (क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी) और सीपीटीपीपी (प्रशांत पारीय भागीदारी के लिए व्यापक तथा प्रगतिशील समझौता) का हिस्सा होना चाहिए और इसका सदस्य बनना चाहिए।’’
सीपीटीपीपी पांच महाद्वीपों में फैला एक मुक्त व्यापार संघ है, जो प्रशांत क्षेत्र के देशों कनाडा, मेक्सिको, पेरू, चिली, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, सिंगापुर, मलेशिया, वियतनाम और जापान से मिलकर बना है।
उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे नहीं लगता कि हमने ‘चीन प्लस वन’ अवसर का उतना लाभ उठाया है, जितना हम उठा सकते थे।’’
सुब्रह्मण्यम ने साथ ही कहा कि वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, तुर्किये और मेक्सिको जैसे देशों को संभवतः भारत की तुलना में ‘चीन प्लस वन’ से अधिक लाभ मिला है।
उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक क्षितिज पर चमकते सितारों में से एक है। नीतिगत स्थिरता और सुधारों ने शानदार वृद्धि पथ की नींव रखी है।
नीति आयोग के सीईओ ने कहा, ‘‘ हमने गत वित्त वर्ष में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की और 2027 तक हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हैं। आज, वृद्धिशील वैश्विक वृद्धि में हमारा योगदान लगभग 20 प्रतिशत है और भविष्य में यह केवल बढ़ेगा ही।’’
भाषा निहारिका अजय
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