आयात शुल्क वृद्धि के बावजूद भारत पामतेल का प्रमुख बाजारः मलेशियाई निकाय

आयात शुल्क वृद्धि के बावजूद भारत पामतेल का प्रमुख बाजारः मलेशियाई निकाय

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  • Publish Date - October 9, 2024 / 07:22 PM IST,
    Updated On - October 9, 2024 / 07:22 PM IST

(लक्ष्मी देवी ऐरे)

कुआलालंपुर, नौ अक्टूबर (भाषा) मलेशिया हाल ही में आयात शुल्क वृद्धि के बावजूद भारत को पाम तेल निर्यात करने को लेकर आशावादी बना हुआ है। मलेशियाई पाम ऑयल परिषद (एमपीओसी) के अध्यक्ष दातो कार्ल बेक नील्सन ने दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक व्यापार संबंधों पर जोर दिया है।

नील्सन ने पीटीआई-भाषा को दिए गए एक साक्षात्कार में कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा पाम तेल आयातक होने के नाते भारत मलेशियाई पाम ऑयल के लिए ‘‘अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण बाजार’’ बना हुआ है।

मलेशिया में पामतेल उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख संगठन एमपीओसी के प्रमुख ने कहा कि इस तरह के शुल्क बदलाव पहले भी हुए हैं और ये दोनों देशों के बीच सामान्य व्यापारिक संबंधों का हिस्सा हैं।

नील्सन ने कहा, ‘‘ऐसा पहले भी हुआ है। शुल्क बढ़ाए गए हैं और शुल्क कम किए गए हैं। हम देखेंगे कि यह परिपाटी भविष्य में भी दोहराई जाएगी।’’

उन्होंने कहा कि एमपीओसी का नजरिया ‘‘अल्पकालिक तात्कालिक प्रतिक्रियाओं के बजाय दीर्घकालिक साझेदारी पर आधारित होगा।’’

उन्होंने यह भी कहा कि परिषद शुल्क परिवर्तनों के बारे में ‘चिंतित नहीं’ है क्योंकि ऐसे अन्य देश हैं जो भारत को निर्यात कम होने पर मलेशियाई पाम तेल खरीदना चाहेंगे।

एमपीओसी के अध्यक्ष ने मलेशिया में पामतेल उत्पादन के लिए आशावादी दृष्टिकोण पेश करते हुए कहा कि वर्ष 2024 में कम से कम 1.9-1.92 करोड़ टन तक उत्पादन का अनुमान है जो पिछले वर्ष के आंकड़ों से अधिक है।

भारत में घरेलू तिलहन की खेती को बढ़ावा देने से मांग पर असर पड़ने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर नील्सन ने कहा, ‘‘मैं इसे एक समस्या के रूप में नहीं देखता क्योंकि भारत की बढ़ती आबादी और बढ़ता समृद्धि स्तर संभावित रूप से वनस्पति तेल की मांग को बढ़ाएंगे।’’

स्थिरता संबंधी चिंताओं पर नील्सन ने स्थायी पामतेल उत्पादन में मलेशिया की अग्रणी भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय उपभोक्ताओं, खासकर युवा पीढ़ी के बीच टिकाऊ रूप से उत्पादित उत्पादों को लेकर जागरूकता बढ़ी है।

भारतीय बाजार में टिकाऊ पामतेल के भविष्य के बारे में आशावादी नजरिया दिखाते हुए नील्सन ने कहा, ‘‘लोग आज टिकाऊपन के पहलू को बहुत अधिक महत्व देते हैं।’’

उन्होंने पामतेल से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को खारिज करने के साथ ही ऐसी आलोचनाओं को ‘भ्रामक आरोप’ बताया।

उन्होंने कहा, ‘‘पामतेल एक पूरी तरह से स्वस्थ और बहुमुखी वनस्पति तेल स्रोत है, जिसने पिछले 100 वर्षों से अरबों लोगों को भोजन दिया है।’’ इसके साथ ही उन्होंने सभी खाद्य उत्पादों के मध्यम उपभोग की वकालत की।

उन्होंने भारत को ‘बहुत मूल्य-लचीला बाजार’ बताते हुए कहा कि मूल्य परिवर्तनों के आधार पर मांग में उतार-चढ़ाव होता है। इस मूल्य संवेदनशीलता के बावजूद उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले वर्षों में भारत वैश्विक स्तर पर पामतेल के शीर्ष दो आयातकों में से एक रहेगा।

कथित तौर पर परिषद भारतीय उपभोक्ताओं के बीच पामतेल के बारे में धारणा और स्वीकृति को बढ़ाने के लिए कई भारतीय कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है। हालांकि इन सहयोगों के विशिष्ट विवरणों का खुलासा नहीं किया गया।

भविष्य की कीमत प्रवृत्तियों के बारे में पूछे जाने पर नील्सन ने सावधानी बरतते हुए कहा कि सालाना आधार पर आपूर्ति वृद्धि ऐतिहासिक स्तरों से मेल नहीं खा सकती है, जिससे भविष्य में वैश्विक बाजारों में आपूर्ति कम हो सकती है।

भाषा राजेश राजेश प्रेम

प्रेम