भारत डब्ल्यूटीओ में चीन की अगुवाई वाले निवेश प्रस्ताव के विरोध मेंः अधिकारी

भारत डब्ल्यूटीओ में चीन की अगुवाई वाले निवेश प्रस्ताव के विरोध मेंः अधिकारी

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  • Publish Date - December 10, 2024 / 08:34 PM IST,
    Updated On - December 10, 2024 / 08:34 PM IST

नयी दिल्ली, 10 दिसंबर (भाषा) भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में निवेश सुविधा से जुड़े प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए चीन की अगुवाई वाले देशों के एक समूह के कदम का विरोध किया है। मंगलवार को एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।

चीन के नेतृत्व वाले 128 देशों का एक समूह ‘विकास के लिए निवेश सुविधा’ (आईएफडी) प्रस्ताव को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। यह प्रस्ताव केवल हस्ताक्षरकर्ता सदस्यों के लिए बाध्यकारी होगा।

आईएफडी का प्रस्ताव चीन एवं उसके निवेश पर निर्भर देशों ने सबसे पहले 2017 में रखा था। सरकारी निधि कोष वाले देश उस समझौते के पक्षकार हैं। हालांकि, अमेरिका समेत कई प्रमुख देश इस प्रस्तावित समझौते से बाहर हैं।

सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हम इसका विरोध कर रहे हैं। यह एक बहुपक्षीय समझौता है और यह कोई व्यापार समझौता भी नहीं है।’’

अधिकारी ने कहा कि भारत इसके खिलाफ डब्ल्यूटीओ में कागजात भी जमा करेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे समझौते जिनेवा स्थित वैश्विक संगठन की बहुपक्षीय प्रकृति को कमजोर करेंगे।

विकसित देशों द्वारा टिकाऊ विकास जैसे नए मुद्दों को आगे बढ़ाने के बारे में पूछे जाने पर इस अधिकारी ने कहा: ‘‘हम पहले अनिवार्य मुद्दों को सुलझाना चाहते हैं और बाद में नए मामलों पर चर्चा की जाएगी।’’

भारत ने खाद्य सुरक्षा के लिए अनाज के सार्वजनिक भंडारण का स्थायी समाधान खोजने का मुद्दा मजबूती से उठाया है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो दो दशक से अधिक समय से लंबित है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘भारत अपने किसानों की खाद्य सुरक्षा और आजीविका के मुद्दों पर समझौता नहीं करने जा रहा है। किसानों के लिए भारत के समर्थन उपाय उनके भरण-पोषण के लिए उठाए गए हैं।’’

उन्होंने कहा कि इसके उलट किसानों को उत्पादन-आधारित समर्थन उपाय व्यापार को विकृत करते हैं। भारत ने 2022-23 में प्रति किसान 465 डॉलर की मामूली सब्सिडी दी, जबकि अमेरिका अपने एक किसान को औसतन 81,000 डॉलर की सब्सिडी देता है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘आगे कृषि पर कोई फैसला लेना होगा तो सबसे पहले हम सार्वजनिक भंडारण मुद्दे का स्थायी समाधान करेंगे, अन्यथा हम कृषि में कोई और फैसला नहीं होने देंगे।’’

उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए एक ‘बड़ी लाल रेखा’ है और इसपर कोई भी समझौता नहीं हो सकता है।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय