नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की सदस्य शमिका रवि ने खनन कंपनियों से रॉयल्टी वसूली का राज्यों को अप्रैल, 2005 से अधिकार देने संबंधी उच्चतम न्यायालय के फैसले पर बुधवार को कहा कि भारत पर एक बार फिर पिछली तारीख से कराधान का साया मंडराने लगा है।
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि राज्य सरकारें एक अप्रैल, 2005 से हजारों करोड़ रुपये मूल्य के खनिज अधिकारों और खनिज युक्त भूमि पर केंद्र और खनन कंपनियों से रॉयल्टी और कर बकाया की वसूली कर सकती हैं।
शमिका ने इस फैसले पर सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपनी पोस्ट में कहा, ‘‘पिछली तारीख से कर लगाने का साया एक बार फिर भारत पर मंडरा रहा है। उच्चतम न्यायालय ने राज्यों को अप्रैल, 2005 से रॉयल्टी और खनन पर कर के रूप में पिछले बकाया को इकट्ठा करने की अनुमति दी है। कानूनों को व्यक्तियों के साथ राज्य द्वारा संपत्ति के अधिग्रहण से भी बचाना चाहिए।’’
खनन उद्योग ने आशंका जताई है कि इस फैसले की वजह से उस पर 1.5 लाख करोड़ रुपये से लेकर दो लाख करोड़ रुपये तक की बकाया रॉयल्टी की देनदारी बनेगी।
शीर्ष अदालत ने 25 जुलाई को आठःएक के बहुमत से दिए अपने पिछले फैसले में कहा था कि राज्यों के पास खनिज अधिकारों पर कर लगाने की विधायी शक्ति है। उसने 1989 के उस फैसले को खारिज कर दिया था, जिसमें खनिजों और खनिज-युक्त भूमि पर रॉयल्टी लगाने का अधिकार सिर्फ केंद्र के पास होने की बात कही गई थी।
हालांकि, उस फैसले को आगामी प्रभाव से लागू करने की दलील केंद्र सरकार की तरफ से दी गई थी लेकिन बुधवार को मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने उस दलील को नकार दिया।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
अजय