भारत 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में अग्रसर : प्रधानमंत्री

भारत 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में अग्रसर : प्रधानमंत्री

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  • Publish Date - September 5, 2024 / 03:39 PM IST,
    Updated On - September 5, 2024 / 03:39 PM IST

नयी दिल्ली, पांच सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि गति और पैमाने के साथ किये गये कार्यों से भारत को पिछले 10 साल में अपनी सौर ऊर्जा क्षमता 32 गुना बढ़ाने में मदद मिली है। इसके साथ देश 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के अपने लक्ष्य को हासिल करने करने की दिशा में बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय सौर महोत्सव में अपने वीडियो संदेश में कहा, ‘‘देश ने पिछले कुछ साल में हरित ऊर्जा के क्षेत्र में कई बड़े कदम उठाये हैं। हम नवीकरणीय ऊर्जा में पेरिस प्रतिबद्धताओं को हासिल करने वाले जी-20 में पहला देश थे।’’ उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण यह संभव हो पाया है। मोदी ने कहा, ‘‘पिछले दस वर्षों में हमारी सौर ऊर्जा क्षमता 32 गुना बढ़ गई है। यह गति और पैमाना हमें 2030 तक 500 गीगावाट (एक गीगावाट बराबर 1,000 मेगावाट) हरित ऊर्जा क्षमता हासिल करने में भी मदद करेगा।’’ मोदी ने यह भी सुझाव दिया कि हरित ऊर्जा निवेश में असंतुलन को दूर करने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों की मदद के लिए विनिर्माण और प्रौद्योगिकी को लोकतांत्रिक बनाने की जरूरत है, अल्प विकसित देशों और छोटे द्वीपीय विकासशील देशों को सशक्त बनाना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। मोदी ने कहा कि सौर परिवेश के विकास के लिए हाशिए पर रहने वाले समुदायों और युवाओं को शामिल करना महत्वपूर्ण है। सौर ऊर्जा के महत्व को समझाने के लिए वेदों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘वेदों की रचना हजारों साल पहले की गई थी। वेदों के सबसे लोकप्रिय मंत्रों में से एक सूर्य के बारे में है। आज भी, लाखों भारतीय रोजाना इसका जाप करते हैं। दुनियाभर में कई संस्कृतियां अपने तरीके से सूर्य की अराधना करती हैं। ज्यादातर क्षेत्रों में सूर्य से संबंधित त्योहार भी मनाये जाते हैं।’’ उन्होंने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय सौर महोत्सव सूर्य के प्रभाव का जश्न मनाने के लिए पूरी दुनिया को एक साथ लाता है। यह एक ऐसा महोत्सव है जो हमारी पृथ्वी को एक बेहतर ग्रह बनाने में मदद करेगा। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) का दो दिन का अंतरराष्ट्रीय सौर महोत्सव बृहस्पतिवार को यहां शुरू हुआ। मोदी ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) 2015 में एक छोटे से रूप में शुरू हुआ था। यह उम्मीद और आकांक्षा का क्षण था। आज, यह नीति और कार्रवाई को प्रेरित करने वाले एक विशाल वृक्ष के रूप में विकसित हो रहा है।’’ इतने कम समय में आईएसए के सदस्यों की संख्या 100 देशों तक पहुंच गई है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके अतिरिक्त, 19 और देश पूर्ण सदस्यता प्राप्त करने के लिए समझौते की रूपरेखा का अनुमोदन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड’ के विचार को वास्तविक रूप देने के लिए इस संगठन का विकास महत्वपूर्ण है। इस मौके पर केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘‘हम हजारों साल पहले महाभारत और रामायण काल ​​के दौरान सूर्य की पूजा करते थे…।’’ आईएसए असेंबली के अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी संभाल रहे जोशी ने कहा कि आज भी करोड़ों भारतीय अपने दिन की शुरुआत सूर्यनमस्कार से करते हैं। ‘‘हम सौर ऊर्जा में तकनीकी और नीतिगत प्रगति के माध्यम से अपने प्राचीन ज्ञान को लागू कर रहे हैं।’’ जोशी ने कहा कि भारत का प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन दुनिया में सबसे कम है। इसके बावजूद, हम सक्रिय रूप से अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए हरसंभव कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज भी, दुनियाभर में 67.5 करोड़ से अधिक लोग बिजली से वंचित हैं, जबकि इससे दोगुने लोगों तक भरोसेमंद बिजली की पहुंच नहीं है। जोशी ने कहा कि इसीलिए ऊर्जा पहुंच सुनिश्चित करना भी एक प्राथमिकता है। ऐसे में हमें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर आगे बढ़ते हुए हुए धीरे-धीरे बदलाव करना होगा। उन्होंने बताया कि देश में स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता 87.2 गीगावाट से अधिक है। इसमें ग्रिड से जुड़ी परियोजनाएं 87 प्रतिशत और छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र 13 प्रतिशत से अधिक है। सोलरएक्स स्टार्टअप चैलेंज सदस्य देशों के सौर ऊर्जा क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों का लागत प्रभावी समाधान की सुविधा प्रदान करता है। जोशी ने कहा, ‘‘सोलरएक्स के माध्यम से, हमारा लक्ष्य सफल सौर परियोजनाओं और समाधान का समर्थन करना है। हमने अफ्रीका और एशिया के लिए ऐसा किया है और आगे चलकर अन्य क्षेत्रों में भी कदम बढ़ाएंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘निजी क्षेत्र के निवेश को लेकर गारंटी व्यवस्था उत्कृष्ट माध्यम है और मुझे यह देखकर खुशी हुई कि आईएसए वित्तीय संस्थानों के साथ मिलकर अफ्रीका में हमारे सदस्य देशों को सस्ते वित्त के माध्यम से ऐसी गारंटी प्रदान कर रहा है…।’’ उन्होंने कहा कि दुनिया के दूरदराज क्षेत्रों में व्यावहारिक सौर परियोजनाओं को आगे बढ़ाने को लेकर निवेश अंतर को पाटने के लिए एक वैश्विक सौर सुविधा भी स्थापित की गई है। मंत्री ने सुझाव दिया कि सभी आईएसए सदस्यों और हस्ताक्षरकर्ताओं को निवेशकों के भरोसे को मजबूत करने और सौर ऊर्जा में निरंतर विकास के लिए क्षमता बढ़ाने को लेकर एक साथ आना चाहिए। भाषा रमण अजयअजय