भारत को 7000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए अवसंरचना पर 2200 अरब डॉलर निवेश करना होगा:रिपोर्ट

भारत को 7000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए अवसंरचना पर 2200 अरब डॉलर निवेश करना होगा:रिपोर्ट

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  • Publish Date - December 12, 2024 / 01:00 PM IST,
    Updated On - December 12, 2024 / 01:00 PM IST

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) भारत को 2030 तक 7,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर 2,200 अरब डॉलर का निवेश करने की आवश्यकता होगी।

रियल एस्टेट परामर्शदाता नाइट फ्रैंक इंडिया ने बृहस्पतिवार को अपनी रिपोर्ट ‘भारत अवसंरचना: निजी निवेश को पुनर्जीवित करना’ पेश की।

इसमें कहा गया है ‘‘ भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को 2030 तक 7000 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर 2200 अरब अमेरिकी डॉलर का अनुमानित निवेश आवश्यक होगा।’’

रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक 7000 अरब अमेरिकी डॉलर का आर्थिक आकार हासिल करने के लिए भारत की अर्थव्यवस्था को 2024-2030 के बीच 10.1 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ने की आवश्यकता है।

नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) शिशिर बैजल ने कहा, ‘‘ बुनियादी ढांचे के विकास पर मजबूत प्रोत्साहन और सरकार द्वारा बजटीय आवंटन में वृद्धि से लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (एलपीआई) में भारत की रैंकिंग 2014 में 54 से बढ़कर 2023 में 38 हो गई है।’’

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में नीति निर्माताओं द्वारा भारत के बुनियादी ढांचे के महत्वपूर्ण विस्तार के लिए व्यापक प्रयास किए गए हैं।

बैजल ने कहा कि इससे भारत के बुनियादी ढांचे के विकास तथा आर्थिक वृद्धि में निजी कंपनियों के सक्रिय रूप से हिस्सा लेने की गुंजाइश बढ़ेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘ हालांकि इस दायरे को सीमित करने वाली कुछ अड़चनें हैं। इसलिए सरकार के बजट में राजकोषीय विवेक को संतुलित करने और देश में समावेशी तथा दीर्घकालिक टिकाऊ आर्थिक वृद्धि लाने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास की खातिर निजी निवेश के उच्च आवंटन को प्रेरित करने के वास्ते बड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।’’

नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकारों की बुनियादी ढांचे में निवेश पर भारी निर्भरता राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों पर दबाव डाल सकती है।

परामर्शदाता का मानना ​​है कि बुनियादी ढांचे के विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने से राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को संतुलित करने में मदद मिलेगी।

भाषा निहारिका मनीषा

मनीषा