भारत को जलवायु-सहिष्णु फसल किस्में विकसित करने की जरूरत: आर्थिक समीक्षा

भारत को जलवायु-सहिष्णु फसल किस्में विकसित करने की जरूरत: आर्थिक समीक्षा

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  • Publish Date - January 31, 2025 / 03:46 PM IST,
    Updated On - January 31, 2025 / 03:46 PM IST

नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) खाद्य मुद्रास्फीति (मंहगाई) की निरंतर बढ़ती चिंताओं के बीच शुक्रवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2024-25 में कहा गया है कि भारत को दीर्घकालिक मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर – दलहन, तिलहन, टमाटर और प्याज के उत्पादन को बढ़ाने के लिए जलवायु-सहिष्णु फसल किस्में विकसित करने और पैदावार बढ़ाने की जरूरत है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शुक्रवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में इस बात पर जोर दिया गया है कि भारत की खाद्य मुद्रास्फीति दर (खाद्य वस्तुओं की मंहगाई दर) सब्जियों और दलहनों जैसे कुछ खाद्य पदार्थों की तेजी के कारण मजबूत बनी हुई है।

वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल से दिसंबर) में समग्र मुद्रास्फीति में सब्जियों और दलहनों का योगदान 32.3 प्रतिशत रहा।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि जब इन वस्तुओं को बाहर रखा जाता है, तो वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-दिसंबर) के लिए औसत खाद्य मुद्रास्फीति दर 4.3 प्रतिशत थी, जो समग्र खाद्य मुद्रास्फीति से 4.1 प्रतिशत कम है।

इसने यह भी रेखांकित किया है कि चक्रवात, भारी बारिश, बाढ़, आंधी, ओलावृष्टि और सूखे जैसी प्रतिकूल मौसम की स्थिति सब्जी उत्पादन और कीमतों को प्रभावित करती है।

इसमें कहा गया है कि ये प्रतिकूल मौसम -भंडारण और परिवहन के मामले में भी चुनौतियां पेश करता है, जिसके कारण आपूर्ति श्रृंखला में अस्थायी व्यवधान पैदा होता है और सब्जियों की कीमतों बढ़ती हैं।

इस बजट पूर्व दस्तावेज में कहा गया है कि सीमित आपूर्ति के कारण वित्त वर्ष 2022-23 से टमाटर की कीमतों पर दबाव रुक-रुक कर बना हुआ है।

इसमें कहा गया है कि सरकार के गंभीर प्रयासों के बावजूद, टमाटर की कीमतें इसकी काफी जल्द खराब होने वाली प्रकृति और कुछ राज्यों में ही उत्पादन सिमटा होने के कारण ऊंची बनी हुई हैं।

आर्थिक समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि ‘‘दलहन, तिलहन, टमाटर और प्याज का उत्पादन बढ़ाने के लिए जलवायु-सहिष्णु फसल किस्मों को विकसित करने, उपज बढ़ाने और फसल क्षति को कम करने के लिए केंद्रित शोध की आवश्यकता है।’’

समीक्षा कहती है कि किसानों को सर्वोत्तम तौर-तरीकों, उच्च उपज और रोग प्रतिरोधी बीज किस्मों के उपयोग और दालों, टमाटर और प्याज के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में कृषि तौर-तरीकों को बेहतर बनाने के लिए लक्षित हस्तक्षेप पर प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहिए।

समीक्षा में कीमतों, स्टॉक और भंडारण और प्रसंस्करण सुविधाओं की निगरानी के लिए मजबूत डेटा संग्रह और विश्लेषण प्रणाली को लागू करने की बात की गई है।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया, ‘‘इस डेटा का उपयोग सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने और सूचित नीतिगत निर्णय लेने के लिए किया जाना चाहिए।’’

चुनौतियों के बावजूद, भारतीय रिजर्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का अनुमान है कि भारत की उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2025-26 में लगभग चार प्रतिशत के मुद्रास्फीति लक्ष्य की ओर आएगी।

रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025-2026 में सकल मुद्रास्फीति 4.2 प्रतिशत रहेगी। आईएमएफ ने भारत के लिए 2024-25 में 4.4 प्रतिशत और 2025-26 में 4.1 प्रतिशत की मुद्रास्फीति दर का अनुमान लगाया है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय