डिजिटल क्रांति की अगुवाई कर रहा भारत: डिप्टी गवर्नर पात्रा

डिजिटल क्रांति की अगुवाई कर रहा भारत: डिप्टी गवर्नर पात्रा

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  • Publish Date - November 13, 2024 / 05:24 PM IST,
    Updated On - November 13, 2024 / 05:24 PM IST

जयपुर, 13 नवंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा ने बुधवार को कहा कि देश डिजिटल क्रांति के मामले में अगुवा है और वित्तीय प्रौद्योगिकी डिजिटल भुगतान को गति दे रही है।

उन्होंने कहा कि एक जीवंत ई-बाजार उभर रहा है और अपनी पहुंच बढ़ा रहा है। एक अनुमान के अनुसार, डिजिटल अर्थव्यवस्था वर्तमान में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का दसवां हिस्सा है। पिछले दशक की वृद्धि दर को देखते हुए, 2026 तक इसके जीडीपी का पांचवां हिस्सा बनने की संभावना है।

पात्रा ने यहां ‘भारत में डिजिटल प्रौद्योगिकी, उत्पादकता और आर्थिक वृद्धि’ विषय पर डीईपीआर सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में यह भी कहा कि भारत अपने डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे, एक जीवंत सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र और कृत्रिम मेधा प्रतिभा से लैस युवाओं समेत बढ़ती युवा आबादी के साथ वृद्धि के नए रास्ते खोलने और मौजूदा रास्तों को अनुकूलतम बनाने को लेकर विशिष्ट स्थिति में है।

डिप्टी गवर्नर ने देश में वित्तीय क्षेत्र के डिजिटलीकरण के बारे में कहा कि भारतीय बैंकों के सर्वेक्षणों से पता चलता है कि जहां सभी ने मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग लागू की है, वहीं 75 प्रतिशत ऑनलाइन खाता खोलने, डिजिटल केवाईसी और डिजिटल तरीके से घर तक बैंक सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं।

इसके अलावा, 60 प्रतिशत डिजिटल माध्यम से कर्ज प्रदान कर रहे हैं जबकि 50 प्रतिशत भुगतान ‘एग्रीगेटर’ सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। वहीं 41 प्रतिशत चैटबॉट का उपयोग करते हैं, 24 प्रतिशत ने ‘ओपन बैंकिंग’ को अपनाया है और 10 प्रतिशत ने इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) तकनीक को एकीकृत किया है। निजी क्षेत्र के 19 बैंक प्रौद्योगिकी अपनाने के मामले में आगे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय बैंकों की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट की कृत्रिम मेधा की सहायता से की गयी समीक्षा से डिजिटलीकरण से अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों में उत्पादकता लाभ का पता चलता है।’’

कुल 14,500 कार्य दिवस की मासिक बचत, ग्राहकों को जोड़ने की लागत में 25-30 प्रतिशत की कमी, 84 टन कागज के उपयोग में कमी, ग्राहकों के बैंकों तक आने-जाने में चार लाख लीटर ईंधन की बचत और शाखाओं में ग्राहकों को इंतजार में लगने वाले समय में 40 प्रतिशत की कमी इसके कुछ उदाहरण हैं।

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने यह भी कहा कि भारत उन अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ भी जुड़ा हुआ है जो परियोजना नेक्सस और एमब्रिज जैसी पहल के माध्यम से विभिन्न देशों के ‘ओपन फाइनेंस’ एपीआई-आधारित ढांचे को जोड़े जाने की संभावना तलाश रहे हैं।

‘ओपन फाइनेंस एपीआई’ यानी एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस, प्रोटोकॉल की एक व्यवस्था है जो वित्तीय आंकड़ों को वित्तीय संस्थानों, कंपनियों और तीसरे पक्ष की इकाइयों के बीच सुरक्षित और मानकीकृत तरीके से साझा करने की अनुमति देता है।

भाषा रमण अजय

अजय