भारत आधिकारिक सांख्यिकी के लिए ‘बिग डेटा’ पर संयुक्त राष्ट्र समिति में शामिल

भारत आधिकारिक सांख्यिकी के लिए 'बिग डेटा' पर संयुक्त राष्ट्र समिति में शामिल

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  • Publish Date - January 11, 2025 / 03:24 PM IST,
    Updated On - January 11, 2025 / 03:24 PM IST

नयी दिल्ली, 11 जनवरी (भाषा) भारत आधिकारिक सांख्यिकी से संबंधित विशाल आंकड़ों के उपयोग पर गठित संयुक्त राष्ट्र की समिति ‘यूएन-सीईबीडी’ का हिस्सा बन गया है।

यूएन-सीईबीडी की स्थापना विशाल एवं विविध आंकड़ों के लाभों और चुनौतियों की आगे जांच करने के लिए की गई थी। इसमें टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर निगरानी और रिपोर्टिंग की क्षमता भी शामिल है।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) ने बयान में कहा है कि भारत आधिकारिक सांख्यिकी के लिए ‘बिग डेटा और डेटा विज्ञान पर संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों की समिति’ (यूएन-सीईबीडी) में शामिल हो गया है।

समिति के एक अंग के तौर पर भारत आधिकारिक सांख्यिकीय उद्देश्यों के लिए बिग डेटा और डेटा विज्ञान का उपयोग करने में वैश्विक मानकों और चलन को आकार देने में योगदान देगा।

बिग डेटा और उन्नत डेटा विज्ञान तकनीकों में आधिकारिक आंकड़ों के उत्पादन और प्रसार में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता है। बिग डेटा का मतलब आंकड़ों का एक बहुत बड़ा और विविध संग्रह है जो समय के साथ तेजी से बढ़ता है।

संयुक्त राष्ट्र समिति का हिस्सा बनना वैश्विक सांख्यिकीय समुदाय में भारत के बढ़ते कद को रेखांकित करता है। यह सूचना-आधारित निर्णय लेने के लिए डेटा और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

विशेषज्ञ समिति में भारत की सक्रिय भागीदारी इसकी अग्रणी पहलों को उजागर करेगी। इसमें डेटा नवाचार प्रयोगशाला की स्थापना और नीति निर्माण के लिए उपग्रह तस्वीरों और मशीन लर्निंग जैसे वैकल्पिक डेटा स्रोतों की खोज शामिल है।

यह सदस्यता भारत के लिए बिग डेटा और डेटा विज्ञान में अपनी घरेलू प्रगति को अंतरराष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठाने का एक रणनीतिक अवसर है, जो डेटा क्षेत्र में परिवर्तनकारी पहलों का नेतृत्व करने की देश की क्षमता को प्रदर्शित करता है।

बयान के मुताबिक, यह भागीदारी सांख्यिकीय उत्पादन को सुव्यवस्थित करने तथा डेटा उपलब्धता में लगने वाले समय को कम करने के लिए डेटा संग्रहण, प्रसंस्करण और विश्लेषण में नवाचार को बढ़ावा देने के भारत के चल रहे प्रयासों को भी पूरा करेगी।

इससे निर्णय लेने की प्रक्रिया में भी सुधार आएगा और नीति निर्माताओं को साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने के लिए वास्तविक समय की जानकारी मिलेगी, तथा प्रमुख सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का समाधान होगा।

भाषा अनुराग प्रेम

प्रेम