नयी दिल्ली, 27 जनवरी (भाषा) भारत ने यूरोपीय संघ (ईयू) और जापान से कृत्रिम चमड़ा और अन्य तकनीकी वस्त्र उत्पाद बनाने में इस्तेमाल होने वाले पीवीसी पेस्ट रेजिन की कथित डंपिंग की जांच शुरू की है।
वाणिज्य मंत्रालय की जांच शाखा, व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) डंपिंग की जांच कर रही है, क्योंकि आयात से घरेलू उद्योग का कथित तौर पर मुनाफा प्रभावित हो रहा है।
केमप्लास्ट सनमार लिमिटेड ने डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया है, जिसमें कहा गया कि सस्ते आयात से घरेलू उद्योग को नुकसान हो रहा है।
डीजीटीआर ने अधिसूचना में कहा, ‘‘ घरेलू उद्योग द्वारा प्रस्तुत विधिवत् प्रमाणित लिखित आवेदन के आधार पर तथा संबद्ध वस्तुओं के डंपिंग के बारे में घरेलू उद्योग द्वारा प्रस्तुत प्रथम दृष्टया साक्ष्यों से संतुष्ट होने पर…प्राधिकारी डंपिंग रोधी जांच शुरू करते हैं। ’’
अगर यह साबित हो जाता है कि डंपिंग से घरेलू कंपनियों को नुकसान पहुंचा है, तो डीजीटीआर इन आयातों पर डंपिंग-रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश करेगा। शुल्क लगाने का अंतिम फैसला वित्त मंत्रालय द्वारा लिया जाता है।
डंपिंग-रोधी जांच विभिन्न देशों द्वारा यह पता लगाने के लिए की जाती है कि सस्ते आयात में वृद्धि के कारण घरेलू उद्योगों को नुकसान तो नहीं पहुंचा है।
भारत ने चीन सहित विभिन्न देशों से सस्ते आयात से निपटने के लिए पहले ही कई उत्पादों पर डंपिंग-रोधी शुल्क लगाया है।
डीजीटीआर ने पिछले महीने घरेलू उत्पादकों को संरक्षण देने के मकसद से चीन सहित छह देशों से पीवीसी पेस्ट रेजिन के आयात पर पांच साल के लिए 707 अमेरिकी डॉलर प्रति टन तक का डंपिंग-रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश की थी।
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