भारत चक्रीय वृद्धि में नरमी के दौर में, आरबीआई का अनुमान अत्यधिक आशावादीः नोमुरा

भारत चक्रीय वृद्धि में नरमी के दौर में, आरबीआई का अनुमान अत्यधिक आशावादीः नोमुरा

  •  
  • Publish Date - October 28, 2024 / 06:57 PM IST,
    Updated On - October 28, 2024 / 06:57 PM IST

मुंबई, 28 अक्टूबर (भाषा) जापानी ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने सोमवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ‘चक्रीय वृद्धि में नरमी’ के दौर में प्रवेश कर चुकी है और भारतीय रिजर्व बैंक का 7.2 प्रतिशत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का अनुमान अब ‘अत्यधिक आशावादी’ लग रहा है।

नोमुरा ने कहा कि उसे वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6.7 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2025-26 में 6.8 प्रतिशत वृद्धि के अपने अनुमानों को लेकर ‘बढ़ते हुए नकारात्मक जोखिम’ दिखाई दे रहे हैं।

नोमुरा ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘भारत की अर्थव्यवस्था चक्रीय वृद्धि में नरमी के दौर में प्रवेश कर चुकी है। संयोग और प्रमुख वृद्धि संकेतक जीडीपी वृद्धि में आगे और नरमी का इशारा कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रिजर्व बैंक का 7.2 प्रतिशत का पूर्वानुमान अत्यधिक आशावादी है।’’

आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपने वृद्धि अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है जबकि कुछ पर्यवेक्षक इस आंकड़े में कटौती करते हुए नजर आ रहे हैं।

नोमुरा ने कहा कि शहरी खपत से जुड़े संकेतक हाल ही में नरम पड़े हैं और यात्री वाहन बिक्री में गिरावट, हवाई यात्री यातायात में कमी और दैनिक उपभोग के सामान बनाने वाली कंपनियों के आंकड़े भी कमजोर शहरी मांग को दर्शा रहे हैं।

ब्रोकरेज ने कहा, ‘‘हमारा मानना ​​है कि शहरी मांग में यह कमजोरी जारी रहने की आशंका है।’’

नोमुरा ने कंपनियों का वेतन व्यय कम होने का जिक्र करते हुए कहा कि कंपनियों का वास्तविक वेतन और मजदूरी व्यय अब तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक सितंबर तिमाही में मुद्रास्फीति के लिए समायोजित होने पर 0.8 प्रतिशत घटा है।

नोमुरा ने कहा कि अप्रैल-जून तिमाही में यह 1.2 प्रतिशत, वित्त वर्ष 2023-24 में 2.5 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2022-23 में 10.8 प्रतिशत था। संभवतः नाममात्र की वेतनवृद्धि और कार्यबल में कटौती के मेल की वजह से ऐसा हुआ है।

ब्रोकरेज फर्म ने कहा, ‘‘महामारी के बाद दबी मांग आने से बना उछाल अब खत्म हो चुका है, मौद्रिक नीति सख्त है और असुरक्षित एवं अस्थिर ऋण पर रिजर्व बैंक की कार्रवाई का असर व्यक्तिगत ऋण में सुस्ती और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा ऋण वृद्धि के रूप में नजर आ रहा है।’’

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय