नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर (भाषा) शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने बुधवार को कहा कि भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों में सुधार के बावजूद निकट भविष्य में दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंधों में नाटकीय बदलाव की संभावना नहीं है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव ने बयान में कहा कि भारत का कम निर्यात और खासकर औद्योगिक क्षेत्रों में चीन से आयात पर अधिक निर्भरता की वजह संरचनात्मक मुद्दे हैं और व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए दीर्घकालिक नीतिगत कदमों की जरूरत होगी।
भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी सेनाओं की गश्त के बारे में सहमति जताई है। इसे दोनों देशों के बीच चार साल से जारी सीमा गतिरोध को दूर करने की दिशा में एक बड़ी सफलता माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच बुधवार को रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय वार्ता भी हुई। यह 2020 में पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद गहराने के बाद से उनकी पहली बैठक है।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘मोदी और चिनफिंग की यह बैठक कूटनीतिक सफलता का संकेत दे सकती है, लेकिन इससे निकट भविष्य में भारत और चीन के बीच आर्थिक और व्यापार गतिशीलता में नाटकीय बदलाव आने की संभावना नहीं है।’’
भारत को चीन के साथ अपने व्यापार घाटे को कम करने और अधिक संतुलित आर्थिक संबंधों के प्रोत्साहन के लिए घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत करने, अपने आयात स्रोतों में विविधता लाने और निर्यात वृद्धि को बढ़ावा देने सहित बहुआयामी दृष्टिकोण की जरूरत होगी।
वित्त वर्ष 2019-20 में चीन को भारत का निर्यात 16.61 अरब डॉलर था जो बढ़कर 2023-24 में 16.65 अरब डॉलर हो गया। हालांकि, इसी अवधि में चीन से भारत का आयात 65.26 अरब डॉलर से बढ़कर 101.74 अरब डॉलर हो गया।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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