कोविड संकट के कारण भारत शायद ही 2025 तक पांच हजार डॉलर की अर्थव्यवस्था बन पाए: अर्थशास्त्री

कोविड संकट के कारण भारत शायद ही 2025 तक पांच हजार डॉलर की अर्थव्यवस्था बन पाए: अर्थशास्त्री

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  • Publish Date - August 15, 2021 / 04:13 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:45 PM IST

नयी दिल्ली 15 अगस्त (भाषा) यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स के प्रोफेसेर वामसी वकुलभरणम का मानना है कि कोविड महामारी की वजह से आई आर्थिक नरमी के कारण भारत शायद ही 2024-25 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन पाए।

वकुलभरणम ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2019 में अपने आकार की तुलना में अगले वर्ष में काफी अवधि तक कम रहेगी।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 स्पष्ट रूप से आर्थिक नरमी का सबसे महत्वपूर्ण कारण है। इसकी वजह से अन्य विकासशील देशों और वैश्विक अर्थव्यवस्था की तुलना में भारत की आर्थिक गिरावट बहुत तेज है।

वकुलभरणम ने कहा, ‘वर्तमान में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 3,000 अरब डॉलर से कम है। यदि इसे चार वर्षों में 5,000 डॉलर तक पहुंचना है, तो अर्थव्यवस्था को औसतन 13 प्रतिशत से अधिक की दर से प्रतिवर्ष वृद्धि करनी होगी।’

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024-25 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है।

अर्थशास्त्री ने कहा कि भले ही सब कुछ भारतीय रिज़र्व बैंक और आईएमएफ द्वारा मौजूदा विकास अनुमानों के अनुसार हो लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था 2019 की तुलना में अगले वर्ष की काफी अवधि तक कम होगी।

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और रिजर्व बैंक ने हाल में वृद्धि दर के अनुमानों को घटाया है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के ताजा अनुमान के अनुसार अर्थव्यवस्था में पिछले वित्त वर्ष में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आयी। आरबीआई के अनुसार चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रहेगी।

भाषा जतिन रमण

रमण