नयी दिल्ली, 11 सितंबर (भाषा) नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बी वी आर सुब्रमण्यम ने बुधवार को कहा कि भारत जलवायु-अनुकूल वृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन जीवाश्म ईंधन (कच्चा तेल, कोयला आदि) अब भी देश की आर्थिक वृद्धि को गति दे रहा है।
सुब्रमण्यम ने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अकेले बाजार जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत जलवायु-अनुकूल वृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है…लेकिन जीवाश्म ईंधन अब भी देश की आर्थिक वृद्धि को गति दे रहा है।’’
सुब्रमण्यम ने कहा कि नीति आयोग हरित ऊर्जा बदलाव और शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन के लिए खाका तैयार करने को लेकर राज्यों के साथ काम कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘नीति आयोग ऊर्जा परिवर्तन के लिए एक खाका विकसित करने को लेकर राज्यों के साथ काम कर रहा है…हम नवंबर में एक दस्तावेज लेकर आएंगे।’’
नीति आयोग के सीईओ ने कहा, ‘‘भारत 2015 पेरिस समझौते के तहत अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने की राह पर चलने वाले देशों में से एक है… हम 2070 तक शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह अलग बात है कि कुल कार्बन उत्सर्जन में चार प्रतिशत से कम भारत में होता है।’’
भारत वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए अपनी राष्ट्रीय जलवायु योजना या राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के तहत 2030 तक 500 गीगावाट (एक गीगावाट बराबर 1,000 मेगावाट) स्वच्छ ईंधन-आधारित बिजली उत्पादन क्षमता क्षमता हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।
सुब्रमण्यम ने कहा कि भले ही भारत की प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत वैश्विक औसत का आधा है, इसके बावजूद सरकार जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए अधिक वित्तपोषण उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन भारत के लिए हरित प्रौद्योगिकी और सभी नये हरित विकास-संबंधित मॉडल में अग्रणी बनने का भी एक अवसर है।
भाषा रमण अजय
अजय
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