नयी दिल्ली, 20 दिसंबर (भाषा) रियल एस्टेट कंपनियों के शीर्ष संगठन क्रेडाई ने सरकार से आग्रह किया है कि वह अतिरिक्त एफएसआई हासिल करने के लिए विकास प्राधिकरणों को दिए जाने वाले शुल्क पर 18 प्रतिशत जीएसटी न लगाए क्योंकि इससे घरों की मांग प्रभावित होगी।
एफएसआई किसी भूखंड पर स्वीकृत अधिकतम निर्माण क्षेत्र और भूखंड क्षेत्र का अनुपात होता है। किसी भी भूखंड पर मूल एफएसआई सीमा से अधिक भूमि खरीदने के लिए डेवलपर को स्थानीय नगर निगम या विकास प्राधिकरण को एफएसआई शुल्क का भुगतान करना होता है।
संगठन का कहना है कि एफएसआई शुल्क पर जीएसटी लगाने की स्थिति में मकानों की कीमतें 10 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं, जिससे घर खरीदने की योजना बना रहे लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा और मांग घटेगी।
‘कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (क्रेडाई) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे एक पत्र में कहा है कि यह कदम मकान बनाने की लागत बढ़ा देगा जिससे सस्ते मकानों की परियोजनाएं भी महंगी हो जाएंगी। इसका असर मध्यमवर्गीय लोगों पर पड़ेगा, जिनके लिए घर खरीदना पहले से ही चुनौती है।
क्रेडाई के मुताबिक, अगर सरकार पुरानी तारीख से यह नियम लागू करती है, तो डेवलपर्स पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा। इससे कई परियोजनाएं बीच में ही रुक सकती हैं, और जो घर खरीदार पहले ही निवेश कर चुके हैं, उनकी बचत पर भी असर पड़ेगा।
संगठन ने कहा, ‘निर्माण की लागत पहले से ही कच्चे माल पर महंगाई से बढ़ रही है। अगर एफएसआई शुल्क पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाया गया, तो यह सस्ते मकानों की परियोजनाओं को और महंगा बना देगा।’
क्रेडाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा कि एफएसआई शुल्क किसी भी परियोजना की लागत का अहम हिस्सा है। इस पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाना मकानों की आपूर्ति और मांग दोनों पर बुरा असर डालेगा।
भाषा अनुराग प्रेम
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