नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) चीन से आयात खेप में तेज वृद्धि के कारण वित्त वर्ष 2024-25 की अप्रैल-सितंबर अवधि में कागज और पेपरबोर्ड का आयात 3.5 प्रतिशत बढ़कर 9,92,000 टन हो गया है। भारतीय कागज निर्माता संघ (आईपीएमए) ने यह जानकारी दी है।
आईपीएमए ने बयान में कहा कि देश में पर्याप्त उत्पादन क्षमता के बावजूद चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान चीन से कागज और पेपरबोर्ड का आयात 44 प्रतिशत बढ़ा है।
एसोसिएशन ने वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि आसियान देशों से अधिक आयात खेप के कारण वर्ष 2023-24 में इन उत्पादों का आयात 34 प्रतिशत बढ़कर 19.3 लाख टन रहा था।
आईपीएमए के अध्यक्ष पवन अग्रवाल ने कहा, ‘‘कोविड के दो वर्षों के दौरान कुछ नरमी के बाद, भारत में कागज़ के आयात में वृद्धि जारी रही है, जिससे घरेलू विनिर्माण उद्योग के विकास को नुकसान पहुंचा है, जो कम क्षमता उपयोग और कमज़ोर लाभ की स्थिति से जूझ रहा है।’’
उन्होंने कहा कि चीन, चिली और हाल ही में इंडोनेशिया से बढ़ते आयात के मद्देनजर वर्जिन फाइबर पेपरबोर्ड के घरेलू निर्माताओं के लिए स्थिति बेहद गंभीर है, जिसका आयात वर्ष 2020-21 से तीन गुना से अधिक बढ़ गया है।
अग्रवाल ने कहा कि घरेलू कागज़ उद्योग ने क्षमता बढ़ाने के लिए पहले ही महत्वपूर्ण पूंजी का निवेश किया है, लेकिन इसमें लाभ की स्थिति में आने की अवधि लंबी है और निवेश की आर्थिक लाभप्रदता को नुकसान पहुंचाने वाले आयात में वृद्धि से घरेलू उद्योग काफी प्रभावित हुआ है।
आईपीएमए ने कहा कि इस सप्ताह की शुरुआत में वित्त और वाणिज्य मंत्रालयों के साथ बजट पूर्व बैठकों में, एसोसिएशन ने घरेलू निर्माताओं को समान अवसर प्रदान करने के लिए कागज़ और पेपरबोर्ड के आयात पर मूल सीमा शुल्क को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने की सिफारिश की है।
भाषा राजेश राजेश अजय
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