लैपटॉप, टैबलेट की आयात प्रबंधन व्यवस्था को मिल सकता है तीन महीने का विस्तार

लैपटॉप, टैबलेट की आयात प्रबंधन व्यवस्था को मिल सकता है तीन महीने का विस्तार

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  • Publish Date - September 20, 2024 / 04:49 PM IST,
    Updated On - September 20, 2024 / 04:49 PM IST

नयी दिल्ली, 20 सितंबर (भाषा) सरकार लैपटॉप और टैबलेट सहित कुछ आईटी हार्डवेयर उत्पादों के आयात प्रबंधन के लिए लागू मौजूदा व्यवस्था को तीन महीने के लिए बढ़ा सकती है। एक आधिकारिक सूत्र ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

मौजूदा व्यवस्था की 30 सितंबर तक समीक्षा की जानी है।

अधिकारी ने बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 में लैपटॉप एवं टैबलेट जैसे उत्पादों का आयात 8.4 अरब डॉलर तक पहुंच गया जबकि आयात के लिए सरकारी मंजूरी लगभग 9.5 अरब अमरीकी डॉलर की ही थी। इनमें से अधिकतर आयात चीन से हुआ।

सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में लैपटॉप, पर्सनल कंप्यूटर और कुछ अन्य आईटी हार्डवेयर उत्पादों के आयात के लिए आयात प्रबंधन एवं अनुमति व्यवस्था शुरू की थी। इस व्यवस्था का मकसद बाजार की आपूर्ति पर असर डाले बगैर देश में इन वस्तुओं की आवक पर नजर रखना था।

आयातकों को इन उत्पादों के आयात के लिए विभिन्न श्रेणियों में आवेदन करने की अनुमति है। मौजूदा समय में दी गई मंजूरियां 30 सितंबर, 2024 तक वैध रहेंगी। इस तारीख तक आयात की किसी भी मात्रा के लिए प्राधिकार पत्र जारी किए जाएंगे।

यह व्यवस्था लागू होने के पहले दिन यानी एक नवंबर, 2023 को सरकार ने एप्पल, डेल और लेनोवो सहित 100 से अधिक कंपनियों के आवेदनों को मंजूरी दी थी। इन कंपनियों ने करीब 10 अरब डॉलर मूल्य के आईटी हार्डवेयर उत्पादों के आयात की अनुमति मांगी थी।

नाम उजागर न करने की शर्त पर अधिकारी ने कहा, ‘‘मौजूदा व्यवस्था के विस्तार के लिए कंपनियों की तरफ से औपचारिक अनुरोध आ रहा है। तीन महीने के विस्तार के साथ यह मंजूरी पूरे साल के लिए हो जाएगी। ऐसे में मुझे इस साल कोई भी गतिरोध नहीं दिख रहा है।’’

नई लाइसेंस व्यवस्था लैपटॉप, पर्सनल कंप्यूटर (टैबलेट कंप्यूटर सहित), माइक्रो कंप्यूटर, बड़े या मेनफ्रेम कंप्यूटर और कुछ डेटा प्रोसेसिंग मशीनों पर लागू की गई है। यह व्यवस्था देश की विश्वसनीय आपूर्ति शृंखला सुनिश्चित करने के लिए की गई है।

देश ने वित्त वर्ष 2022-23 में 5.33 अरब डॉलर मूल्य के लैपटॉप एवं अन्य पर्सनल कंप्यूटर उत्पादों का आयात किया था जबकि 2021-22 में यह 7.37 अरब डॉलर रहा था।

भाषा निहारिका प्रेम

प्रेम