नयी दिल्ली, पांच नवंबर (भाषा) आईएलएंडएफएस समूह अपने पूर्व निदेशकों और दो अनुषंगी की अनुषंगी इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कानूनी सलाह ले रही है, जिन्होंने उन्हें दिया गया अतिरिक्त प्रबंधकीय पारिश्रमिक लौटाने से इनकार कर दिया है।
कर्ज में डूबी कंपनी ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के समक्ष दायर ताजा हलफनामे में यह जानकारी दी ।
आईएलएंडएफएस पुराने निदेशक मंडल के निदेशकों तथा स्वतंत्र निदेशकों से करीब 187 करोड़ रुपये वसूलने की प्रक्रिया में है, जिनके कार्यकाल के दौरान कंपनी तथा इसकी दो अनुषंगी कंपनियों आईएफआईएन और आईटीएनएल को वित्तीय गड़बड़ी के जरिये लाभ में दिखाया गया था, हालांकि वे घाटे में थीं।
एनसीएलटी के निर्देश पर इस वर्ष की शुरुआत में आईएलएंडएफएस, आईएफआईएन और आईटीएनएल के पांच वर्षों के (वित्त वर्ष 2013-14 से 2017-18 तक) खातों तथा वित्तीय विवरणों पर गौर किया था। इसमें करीब 9,600 करोड़ रुपये का घाटा पाया गया था।
कंपनी के पुराने प्रबंधन तथा निदेशक मंडल ने मूल रूप से 1,869 करोड़ रुपये का लाभ दिखाया गया था, जिसे बाद में सरकार ने अनियमितताओं के खुलासे के बाद रद्द कर दिया।
इसके बाद आईएलएंडएफएस ने 13 अगस्त, 2024 को 10 पत्र जारी किए, आईएफआईएन ने 14 अगस्त, 2024 को 12 पत्र जारी किए हैं और आईटीएनएल ने 14 अगस्त 2024 को 12 पत्र अपने संबंधित पूर्व निदेशकों को भेजे हैं। इनमें ‘‘ 60 दिन की अवधि में भुगतान किए गए अतिरिक्त धन/पारिश्रमिक के रूप में करीब 187.02 करोड़ रुपये की वसूली’’ की मांग की गई है।
इसमें कहा गया, ‘‘ उपर्युक्त पत्रों के जवाब आने शुरू हो गए हैं और दो स्वतंत्र निदेशकों (एक आईएलएंडएफएस से और एक आईटीएनएल से) ने किसी भी आरोप को स्वीकार किए बिना उन्हें प्राप्त राशि वापस कर दी है।’’
उद्योग पर्यवेक्षकों के अनुसार, दो स्वतंत्र निदेशक के.के. मिस्त्री और दीपक सातवालेकर हैं, जबकि अन्य लोगों ने मांग का विरोध किया है।
भाषा निहारिका अजय
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