नयी दिल्ली, 12 जनवरी (भाषा) भारतीय बायोगैस एसोसिएशन (आईबीए) ने वित्त मंत्रालय से आगामी आम बजट में कंप्रेस्ड (संपीड़ित) बायोगैस (सीबीजी) उत्पादन के लिए पूरी तरह कॉरपोरेट कर की छूट देने की मांग की है। आईबीए का कहना है कि इससे क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत को बढ़ावा देने का लक्ष्य हासिल हो सकेगा।
इस महीने की शुरुआत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे एक पत्र में आईबीए ने कहा कि यह उन कारोबार क्षेत्रों के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में कार्य करेगा, जो स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में योगदान करते हुए सीबीजी उत्पादन में निवेश करने और इसे बढ़ाने के इच्छुक हैं।
उद्योग निकाय ने कहा, ‘‘यह प्रस्ताव है कि सरकार सीबीजी उत्पादन के लिए व्यापक रूप से ‘कॉरपोरेट कर अवकाश’ यानी छूट दे। विशेष रूप से सीबीजी उत्पादकों को परिचालन के शुरुआती वर्षों में पूर्ण कर राहत दी जानी चाहिए।’’
वित्त मंत्री सीतारमण संसद में एक फरवरी को वित्त वर्ष 2025-26 का आम बजट पेश करेंगी।
आईबीए ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में देश में लगभग 100 सीबीजी संयंत्र चालू थे। कुल सीबीजी की बिक्री लगभग 1,200 करोड़ रुपये रही है। इसका मतलब यह है कि पूरी तरह से कर माफ करने के बाद सरकार को राजस्व का करीब 100 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
आईबीए ने यह यह एक अल्पकालिक नुकसान है, लेकिन यह दीर्घावधि में नवीकरणीय ऊर्जा उद्योग को आगे बढ़ने में मदद करेगा।
पत्र में कहा गया है कि इस कदम से भारत अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को हासिल कर सकेगा, निजी निवेश प्राप्त कर सकेगा और इससे रोजगार के अवसरों का भी सृजन होगा।
उद्योग निकाय ने कहा कि इस मामले में कर छूट से सीबीजी उत्पादकों को अपने उत्पादों को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर बेचने में भी मदद मिलेगी, जिससे भारत के ऊर्जा मिश्रण में सीबीजी की स्वीकार्यता बढ़ेगी।
आईबीए ने कहा कि इसके अलावा इससे बायोगैस के उत्पादन में धान के भूसे और फसल कचरे जैसे कृषि अवशेषों का इस्तेमाल बढ़ेगा। इससे कृषि अवशेषों को जलाने की जरूरत नहीं होगा, जिससे अंतत: प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी।
भाषा अजय अजय
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