भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर अब थोड़ा अधिक आशावादी हूं: आरबीआई एमपीसी सदस्य

भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर अब थोड़ा अधिक आशावादी हूं: आरबीआई एमपीसी सदस्य

भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर अब थोड़ा अधिक आशावादी हूं: आरबीआई एमपीसी सदस्य
Modified Date: October 24, 2023 / 12:10 pm IST
Published Date: October 24, 2023 12:10 pm IST

(बिजय कुमार सिंह)

नयी दिल्ली, 24 अक्टूबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति के सदस्य जयंत आर. वर्मा ने मंगलवार को कहा कि वह कुछ महीने पहले की तुलना में भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर ‘‘थोड़ा अधिक’’ आशावादी हैं।

उन्होंने कहा कि हालांकि चिंताएं बनी हुई हैं क्योंकि देश अब घरेलू खर्च पर ‘‘असाधारण रूप से’’ निर्भर है और मांग के अन्य घटकों को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।

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वर्मा ने कहा कि भारत को वृद्धि के झटकों से बचने के लिए कई तिमाहियों तक चार से पांच प्रतिशत के बीच मुद्रास्फीति को स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

वर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को फोन पर दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘ मैं दो-चार महीने पहले की तुलना में वृद्धि को लेकर थोड़ा अधिक आशावादी हूं। बेहतर उपभोक्ता विश्वास तथा विभिन्न संकेतकों के चलते मैं इसको लेकर अधिक आशावादी हूं। यह वृद्धि की गति को जारी रखने की ओर इशारा करते हैं।’’

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए वैश्विक वृद्धि अनुमान को तीन प्रतिशत पर यथावत रखते हुए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने हाल ही में, अक्टूबर में भारत के लिए अपने वृद्धि अनुमान को 20 आधार अंक बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है।

प्रख्यात अर्थशास्त्री ने जोर देकर कहा, ‘‘ हालांकि अनुमान नाजुक बना हुआ है क्योंकि मांग अब असंगत रूप से घरेलू खर्च पर निर्भर है और मांग के अन्य घटकों को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।’’

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य ने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कारण बाहरी मांग कमजोर है, निजी पूंजी व्यय में पुनरुद्धार अब भी बहुत अस्थायी और धीमा है।

वर्मा वर्तमान में भारतीय प्रबंधन संस्थान (अहमदाबाद) में प्रोफेसर हैं।

यह पूछे जाने पर कि मुद्रास्फीति कब आरबीआई के चार प्रतिशत के लक्ष्य पर पहुंच पाएगी, वर्मा ने कहा कि अगस्त में मुद्रास्फीति अधिक थी लेकिन सितंबर में यह सीमित दायरे में आई और अक्टूबर में मुद्रास्फीति के कम होने की उम्मीद है।

भाषा निहारिका मनीषा

मनीषा


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