नई दिल्ली । अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया मंगलवार को 79.33 प्रति डॉलर के अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया। विदेशों में डॉलर के कमजोर होने तथा पूंजी बाजार से विदेशी संस्थागत निवेशकों की सतत निकासी से रुपये की धारणा प्रभावित हुई। व्यापार घाटा बढ़ने, डॉलर के मुकाबले वैश्विक मुद्राओं में कमजोरी तथा आने वाले महीनों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा आक्रामक रूप से ब्याज दरों में बढ़ोतरी की आशंका का भी रुपये पर असर पड़ा।
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अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 79.04 पर खुला। कारोबार के दौरान इसने 79.02 के उच्चतम स्तर और 79.38 रुपये के निम्नतम स्तर को छुआ। कारोबार के अंत में रुपया अपने पिछले बंद भाव 78.95 रुपये प्रति डॉलर के मुकाबले 38 पैसों की भारी गिरावट के साथ 79.33 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
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एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार के अनुसार, रुपये में एक और रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई। गिरावट का कारण बढ़ता व्यापार घाटा है जो पिछले महीने विभिन्न जिंसों की बढ़ती कीमतों और विदेशी पूंजी की बाजार से निर्बाध निकासी की वजह से है। इससे रुपये की धारणा प्रभावित हुई। शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, ‘‘भारत ने इस साल अबतक लगभग 31 अरब डॉलर की रिकॉर्ड विदेशी पूंजी निकासी को देखा है। निर्यात और आयात के बीच का अंतर जून में बढ़कर 25.6 अरब डॉलर हो गया, जो मई में 24.3 अरब डॉलर था।
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रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के जिंस एवं मुद्रा शोध विभाग की उपाध्यक्ष- सुगंधा सचदेव ने कहा कि डॉलर इंडेक्स के नए शिखर की ओर बढ़ने से रुपया सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया। शेयरखान बाय बीएनपी पारिबा के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि डॉलर के मजबूत होने और उम्मीद से कमजोर घरेलू आर्थिक आंकड़ों के कारण भारतीय रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले नए रिकॉर्ड निचले स्तर को छू गया।