मुंबई, छह नवंबर (भाषा) सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण अक्टूबर में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह का घर का बना खाना महंगा हो गया। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के एक प्रभाग ने कहा कि शाकाहारी थाली की कीमत एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 20 प्रतिशत बढ़कर 33.3 रुपये प्रति प्लेट हो गई। यह सितंबर की कीमत 31.3 रुपये से भी अधिक थी, जिसका मुख्य कारण सब्जियों की कीमतों में उछाल था।
इसमें कहा गया है कि मासिक ‘रोटी चावल दर’ रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर में प्याज की कीमतें सालाना आधार पर 46 प्रतिशत बढ़ीं, जबकि आलू की कीमतें 51 प्रतिशत बढ़ीं, जिसका मुख्य कारण लगातार बारिश होना है, जिसके कारण आवक कम हुई और महाराष्ट्र और कर्नाटक में फसल भी प्रभावित हुई।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि टमाटर की कीमतें एक साल पहले की समान अवधि के 29 रुपये प्रति किलोग्राम से दोगुनी होकर 64 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं, क्योंकि बारिश के कारण आवक प्रभावित हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश से आपूर्ति शुरू होने के साथ नवंबर से इस जिंस (टमाटर) की कीमतें स्थिर होने की संभावना है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सब्जियों की कीमतों का कुल थाली लागत में 40 प्रतिशत भारांश होता है और इसलिए उतार-चढ़ाव ने कुल लागत को प्रभावित किया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शाकाहारी थाली में 11 प्रतिशत भार वाली दालों की कीमतों में इस महीने के दौरान 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसका कारण शुरुआती स्टॉक में कमी, स्टॉक पाइपलाइन में कमी और त्योहारी मांग का होना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नई आवक के कारण दिसंबर से कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ईंधन की लागत में सालाना आधार पर 11 प्रतिशत की गिरावट ने भोजन की लागत में उछाल को रोकने में मदद की।
रिपोर्ट में कहा गया कि मांसाहारी थाली के मामले में, ब्रॉयलर की कीमतों में नौ प्रतिशत की गिरावट, जो कि थाली की लागत का आधा हिस्सा है, ने लागत में अपेक्षाकृत धीमी वृद्धि की।
इसमें कहा गया है कि घर में बनी मांसाहारी थाली की कीमत अक्टूबर में 61.6 रुपये रही, जबकि एक महीने पहले इसी अवधि में यह 59.3 रुपये और एक साल पहले इसी अवधि में 58.6 रुपये थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मांसाहारी थाली की लागत में 22 प्रतिशत हिस्सा सब्जियों की कीमतों का भी रहा।
भाषा राजेश राजेश अजय
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