ऊंचे सार्वजनिक कर्ज की वजह से बजट में कल्याणकारी कदमों के लिए सीमित गुंजाइशः रिपोर्ट

ऊंचे सार्वजनिक कर्ज की वजह से बजट में कल्याणकारी कदमों के लिए सीमित गुंजाइशः रिपोर्ट

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  • Publish Date - July 8, 2024 / 04:07 PM IST,
    Updated On - July 8, 2024 / 04:07 PM IST

मुंबई, आठ जुलाई (भाषा) भारत के सार्वजनिक ऋण के ऊंचे स्तर पर होने से अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने वाले कल्याणकारी कदम उठाने के लिए राजकोषीय गुंजाइश सीमित रह गई है। एक विदेशी ब्रोकरेज फर्म ने सोमवार को यह बात कही।

ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन शैक्स ने पूर्ण बजट पेश होने के कुछ दिन पहले जारी एक रिपोर्ट में कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण राजकोषीय घाटे को 5.1 प्रतिशत पर सीमित रखने के अंतरिम बजट में घोषित लक्ष्य पर टिकी रह सकती हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, निवेशक बजट से राजकोषीय सशक्तीकरण की राह में कुछ ढिलाई और पूंजीगत व्यय से कल्याणकारी व्यय पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि, ब्रोकरेज फर्म को इसकी संभावना नहीं दिख रही है।

गोल्डमैन शैक्स ने कहा, ‘‘हमारी राय में उच्च सार्वजनिक ऋण को देखते हुए अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए राजकोषीय गुंजाइश सीमित है। बुनियादी ढांचा बेहतर होने से सकारात्मक विकास के दीर्घकालिक प्रभाव पैदा हुए हैं, जिसे नीति-निर्माता छोड़ना नहीं चाहेंगे।’’

ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि राजकोषीय घाटे के अंतिम लक्ष्य को भी वर्तमान 5.1 प्रतिशत से कम किया जा सकता है, और सीतारमण वित्त वर्ष 2025-26 में इसे घटाकर 4.5 प्रतिशत पर ला सकती हैं।

रिपोर्ट कहती है कि कल्याणकारी व्यय के लिए भले ही ‘कुछ व्यय आवंटन’ किया जाए लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक से मिले 2.1 लाख करोड़ रुपये के लाभांश को देखते हुए पूंजीगत व्यय में कटौती की जरूरत नहीं पड़ेगी।

इसने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में प्रोत्साहन के लिए सीमित राजकोषीय गुंजाइश है। इसने बताया कि सरकार के बजट में ब्याज व्यय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.4 प्रतिशत हिस्सा है।

इसने कहा, ‘‘हमारी गणना दर्शाती है कि सरकार की राजकोषीय नीति वित्त वर्ष 2021-22 से वृद्धि के लिए एक अवरोध रही है और सरकार के राजकोषीय सशक्तीकरण लक्ष्य को देखते हुए वित्त वर्ष 2024-25 और 2025-26 में भी यही हाल रहेगा।’’

इसने कहा कि वित्त वर्ष 2021-24 के बीच पूंजीगत व्यय में 31 प्रतिशत की अच्छी वृद्धि हुई, जिससे आर्थिक वृद्धि को रफ्तार मिली।

ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि आगामी बजट में केवल राजकोषीय आंकड़ों से आगे बढ़कर रोजगार सृजन पर जोर दिया जा सकता है। इसके लिए श्रम-बहुल विनिर्माण, छोटे व्यवसायों के लिए ऋण, वैश्विक क्षमता केंद्रों का विस्तार करके सेवाओं के निर्यात पर निरंतर ध्यान दिया जा सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, बजट में मूल्य अस्थिरता पर काबू पाने के लिए घरेलू खाद्य आपूर्ति शृंखला और भंडार प्रबंधन पर जोर दिया जा सकता है।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय