गुजरात की कृषि सफलता अन्य राज्यों के लिए उदाहरण: पीके मिश्रा

गुजरात की कृषि सफलता अन्य राज्यों के लिए उदाहरण: पीके मिश्रा

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  • Publish Date - September 4, 2024 / 08:37 PM IST,
    Updated On - September 4, 2024 / 08:37 PM IST

नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी के मिश्रा ने बुधवार को कहा कि गुजरात के कृषि क्षेत्र में पिछले 25 साल में महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है, जो पारिवारिक खपत वाली निर्वाह-आधारित खेती अर्थव्यवस्था से विविधतापूर्ण और बाजार-उन्मुख अर्थव्यवस्था में परिवर्तित हो गया है।

गुजरात के सरदार पटेल विश्वविद्यालय में कृषि-आर्थिक अनुसंधान केंद्र (एईआरसी) के स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए मिश्रा ने कहा कि गुजरात की कृषि सफलता अन्य भारतीय राज्यों के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य करती है।

एक बयान के अनुसार, उन्होंने कहा कि गुजरात का कृषि और संबद्ध क्षेत्र 9.7 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ा है, जबकि भारत के लिए यह औसत 5.7 प्रतिशत है।

मिश्रा ने कृषि महोत्सव और मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसी पहल का हवाला देते हुए प्रौद्योगिकी के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने में गुजरात की सफलता की भी सराहना की, जिन्होंने प्रभावशाली कृषि विकास में योगदान दिया है।

उन्होंने कहा कि गुजरात भारत का पहला राज्य था जिसने मृदा स्वास्थ्य कार्ड शुरू किए, जिसने मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उच्च उपज देने वाली किस्मों और जैव प्रौद्योगिकी में राज्य की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए मिश्रा ने बीटी कॉटन अपनाने में गुजरात की महत्वपूर्ण प्रगति का उल्लेख किया, जिससे अधिक उपज हुई और कीटनाशकों का उपयोग कम हुआ, खासकर शुष्क क्षेत्रों में।

उन्होंने जैविक खेती में गुजरात की भूमिका की भी सराहना की। इसमें बीज महोत्सव, जैविक खाद्य महोत्सव और जैविक किसानों के द्विवार्षिक सम्मेलन जैसी गतिविधियां शामिल हैं। हाल ही में, राज्य ने प्राकृतिक खेती के तरीकों को अपनाया है।

मिश्रा ने दीर्घकालिक उत्पादकता और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के लिए टिकाऊ कृषि पद्धतियों के महत्व को रेखांकित किया और कृषि कार्यों को अनुकूलित करने के लिए मृदा परीक्षण, संरक्षण जुताई और रिमोट सेंसिंग, जीपीएस, ड्रोन और एआई जैसी उन्नत तकनीकों को अपनाने जैसी रणनीतियों की वकालत की।

उन्होंने कृषि अवशेषों (कचड़ों) से नवीकरणीय ऊर्जा और जैव ऊर्जा उत्पादन के उपयोग को प्रोत्साहित किया और किसानों के लिए समय पर मौसम संबंधी सलाह के साथ-साथ ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और सहिष्णुपन बढ़ाने के लिए जलवायु-स्मार्ट तौर-तरीकों पर जोर दिया।

मिश्रा ने विशेष रूप से जलवायु-अनुकूल फसलों, कुशल जल उपयोग और नवीन उर्वरकों के विकास के क्षेत्र में कृषि अनुसंधान में निवेश की आवश्यकता पर भी बल दिया।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय