जीटीआरआई ने सुरक्षा उपाय से पहले इस्पात उद्योग के मूल्यांकन का किया आह्वान |

जीटीआरआई ने सुरक्षा उपाय से पहले इस्पात उद्योग के मूल्यांकन का किया आह्वान

जीटीआरआई ने सुरक्षा उपाय से पहले इस्पात उद्योग के मूल्यांकन का किया आह्वान

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Modified Date: January 2, 2025 / 01:49 PM IST
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Published Date: January 2, 2025 1:49 pm IST

नयी दिल्ली, दो जनवरी (भाषा) आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने प्रस्तावित सुरक्षा शुल्क लगाने से पहले मौजूदा आयात उपायों के प्रभाव की समीक्षा करने के लिए भारतीय इस्पात उद्योग का व्यापक आकलन करने का बृहस्पतिवार को आह्वान किया।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की रिपोर्ट में दावा किया गया कि कुछ इस्पात उत्पादों के आयात में कथित उछाल के संबंध में वाणिज्य मंत्रालय की सुरक्षा जांच में ‘‘कई’’ तकनीकी कमियां हैं, जैसे कि न्यूनतम आयात वृद्धि वाले उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करना तथा वैश्विक सुरक्षा उपायों का अनुचित इस्तेमाल करना।

रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया कि कोई भी नया उपाय उद्योग और व्यापक अर्थव्यवस्था पर मौजूदा उपायों के प्रभावों की स्पष्ट समझ पर आधारित होना चाहिए।

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ भारत में इस्पात उद्योग की स्थिति पर एक अध्ययन किया जाए और प्रस्तावित व मौजूदा आयात उपायों के परिणामस्वरूप होने वाली उच्च लागत, आर्थिक वृद्धि और नौकरियों पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करें। इसके बाद ही कोई भी नई कार्रवाई करें।’’

उन्होंने कहा कि गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ), इस्पात आयात निगरानी प्रणाली (एसआईएमएस) और अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) की आवश्यकताओं वाली वर्तमान प्रणाली ‘‘अत्यधिक’’ जटिल व नकाफी है।

जीटीआरआई रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि इन प्रक्रियाओं को सरल बनाने तथा अनुपालन को स्वचालित तथा परेशानी मुक्त बनाने के लिए उच्च स्तरीय समीक्षा आवश्यक है।

मंत्रालय के अधीन व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने पिछले महीने फैब्रिकेशन, पाइप विनिर्माण, निर्माण, पूंजीगत सामान, ऑटो, ट्रैक्टर, साइकिल और इलेक्ट्रिकल पैनल सहित विभिन्न उद्योगों में उपयोग किए जाने वाले ‘‘गैर-मिश्र धातु व मिश्र धातु इस्पात उत्पादों’’ के आयात की जांच शुरू की है।

इंजीनियरिंग क्षेत्र के एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु व मझौले उद्यम) निर्यातकों ने कहा कि इस्पात आयात पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का कोई भी कदम घरेलू उत्पादों को अप्रतिस्पर्धी बना देगा और इस क्षेत्र से देश के निर्यात पर असर पड़ेगा।

हैंड टूल एसोसिएशन के चेयरमैन एस. सी. रल्हन ने कहा कि एमएसएमई इंजीनियरिंग निर्यातक पहले से ही नकदी के मोर्चे पर समस्याओं और घरेलू बाजार में इस्पात की ऊंची कीमतों का सामना कर रहे हैं।

डीजीटीआर की अधिसूचना के अनुसार, भारतीय इस्पात संघ ने अपने सदस्यों आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया, एएमएनएस खोपोली, जेएसडब्ल्यू स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील कोटेड प्रोडक्ट्स, भूषण पावर एंड स्टील, जिंदल स्टील एंड पावर, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से सीमा शुल्क अधिनियम 1975 के तहत एक आवेदन दायर किया है।

उन्होंने भारत में इन उत्पादों के आयात पर सुरक्षा शुल्क लगाने की मांग की है।

इसके अलावा जीटीआरआई ने कहा कि चूंकि अधिकतर आयात एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) साझेदारों या चीन से होते हैं, इसलिए जांच में एफटीए-विशिष्ट सुरक्षा उपायों तथा चीन को लक्षित करते हुए डंपिंग रोधी/सुरक्षा उपायों का इस्तेमाल होना चाहिए।

भाषा निहारिका नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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