अति प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर जीएसटी बढ़ाया जाए, लेबलिंग मानदंड सख्त हों : समीक्षा

अति प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर जीएसटी बढ़ाया जाए, लेबलिंग मानदंड सख्त हों : समीक्षा

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  • Publish Date - January 31, 2025 / 08:32 PM IST,
    Updated On - January 31, 2025 / 08:32 PM IST

नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) संसद में पेश बजट पूर्व दस्तावेज के अनुसार सरकार को अति प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ (अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स या ‘यूपीएफ’) की खपत को कम करने के लिए सख्त एफएसएसएआई लेबलिंग मानदंडों, उच्च जीएसटी दर लागू करने और जागरूकता अभियानों के साथ बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।

आर्थिक समीक्षा दस्तावेज में कहा गया, ‘‘भारत में आहार में अति प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों (यूपीएफ) की बढ़ती खपत से उभरने वाली चिंताओं को दूर करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी।’’

इसमें कहा गया है कि यूपीएफ पर भ्रामक पोषण संबंधी दावों और सूचनाओं से निपटने की जरूरत है और उन्हें जांच के दायरे में लाया जाना चाहिए।

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) सख्त लेबलिंग आवश्यकताओं सहित स्पष्ट परिभाषा और मानकों के साथ यूपीएफ को विनियमन के तहत लाने पर विचार कर सकता है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को विज्ञापन का विनियमित करने, पैक के सामने चेतावनी लेबल अपनाने और अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों पर सख्त विपणन प्रतिबंध लगाने के लिए चीनी, नमक और संतृप्त वसा के लिए पोषक तत्व सीमा को तत्काल परिभाषित करना चाहिए, विशेष रूप से 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को लक्षित करना चाहिए।

इसमें कहा गया है कि 22 देशों के एक अध्ययन ने स्थापित किया है कि इस संबंध में स्व-नियमन बहुत प्रभावी नहीं रहा है। अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए ब्रांडेड उत्पादों की बेहतर निगरानी की मांग करना उपभोक्ता विश्वास बनाने में मदद करेगा।

आर्थिक समीक्षा ने आक्रामक विपणन और वितरण व्यवहार और विज्ञापनों में भ्रामक पोषण दावों से निपटने के लिए उपभोक्ता संरक्षण प्रयासों को मजबूत करने का भी सुझाव दिया, खासकर जब वे बच्चों और युवाओं को लक्षित करते हैं।

इसने कहा, ‘‘स्थानीय और मौसमी फलों और सब्जियों को बढ़ावा देने और स्वस्थ खाद्य पदार्थों जैसे कि साबुत खाद्य पदार्थ, मोटे अनाज, फल और सब्जियों के लिए सकारात्मक सब्सिडी की सुविधा प्रदान करने के लिए भी प्रयास किए जाने चाहिए ताकि उनकी उपलब्धता और खपत में सुधार हो सके।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय