नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा है कि दूसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर कोई स्थायी मामला नहीं है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि निजी निवेश में तेजी के साथ चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 6.5 से 7.0 प्रतिशत रहेगी।
अग्रवाल ने पीटीआई-भाषा के साथ विशेष बातचीत में कहा कि आरबीआई को मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि के बीच एक बेहतर संतुलन बनाने की जरूरत है। उन्होंने यह माना कि भारतीय रिजर्व बैंक विवेकपूर्ण और सोच-विचारकर अपना काम कर रहा है।
इमामी लि. के वाइस चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अग्रवाल ने यह भी उम्मीद जतायी कि अगले महीने अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यभार संभालने के बाद भारत के लिए ‘चुनौतियां कम’ होंगी।
ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान के दौरान आरोप लगाया था कि सभी प्रमुख देशों में भारत विदेशी उत्पादों पर सबसे अधिक शुल्क लगाता है और उन्होंने सत्ता में आने पर सीमा शुल्क बढ़ाने की बात कही थी।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर अब हर देश एक ऐसी नीति पर काम कर रहा है जहां प्राथमिक ध्यान उनके अपने देश के हित पर है। लेकिन एक बात जरूर है कि आने वाले समय में भारत के लिए चुनौतियां कम होंगी। क्योंकि ट्रंप के बयान के संदर्भ में बहुत सारी चुनौतियां शुल्क दर को लेकर है। यह मेक्सिको, चीन आदि देशों पर ज्यादा प्रभावी हो सकता है।’’
अग्रवाल ने कहा, ‘‘कुछ मामले हो सकते हैं, कुछ क्षेत्र हो सकते हैं, जहां हमें कुछ मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन मोटे तौर पर, वास्तव में मुझे लगता है कि ऐसे कई क्षेत्र होंगे जहां भारतीय उद्योगों के लिए अवसर पैदा हो सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में देश में निजी पूंजी निवेश में तेजी आनी चाहिए। इसका कारण क्षमता उपयोग का स्तर लगभग 75 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
अग्रवाल ने कहा, ‘‘हमारा आकलन है कि निजी कंपनियों में क्षमता उपयोग 74-75 प्रतिशत पर पहुंच गया है। उद्योग अब नए निवेश को लेकर काफी सहज हैं। इस लिहाज से हमारा मानना है कि निजी निवेश होना चाहिए।’’
आगामी बजट को लेकर उम्मीद के बारे में पूछे जाने पर फिक्की अध्यक्ष ने कहा कि उद्योग मंडल ने सिफारिश की है कि सरकार को अगले वित्त वर्ष में अपना पूंजीगत व्यय 15 प्रतिशत बढ़ाना चाहिए।
इसके अलावा, फिक्की ने टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) दर को सरल बनाने और हरित ऊर्जा और संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग वाली अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकनॉमी) बनाने के लिए बजटीय आवंटन को बढ़ाने सहित कर सुधारों का भी सुझाव दिया है।
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘आरबीआई को मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि के बीच एक बेहतर संतुलन बनाने की जरूरत है और वे इस दिशा में काफी अच्छे से काम कर रहे हैं। वास्तव में उनका रुख विवेकपूर्ण रहा है मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना होगा। ऐसा नहीं करने पर इसका उपभोग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है…।’’
हालांकि, अग्रवाल ने कहा, ‘‘वृद्धि दर के नजरिये से, मुझे लगता है कि दूसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत की वृद्धि दर एक अस्थायी मामला है… हमें नहीं लगता तीसरी और चौथी तिमाही में वृद्धि दर इस तरह की होगी।’’ आरबीआई ने चालू वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि तीसरी तिमाही और चौथी तिमाही, दूसरी तिमाही से काफी बेहतर होगी। इसके साथ औसतन वार्षिक आधार पर, वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में लगभग 6.5 से 7.0 प्रतिशत रहने उम्मीद है।’’
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने आर्थिक गतिविधियों में नरमी के साथ-साथ खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर अनुमान को घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया है जबकि पहले इसके 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। वहीं मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया है।
चालू वित्त वर्ष 2024-25 की जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी वृद्धि सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर रही।
भाषा रमण अजय
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