गोयल ने इस्पात उद्योग की शीर्ष हस्तियों के साथ कार्बन कर के मुद्दे पर बातचीत का सुझाव दिया

गोयल ने इस्पात उद्योग की शीर्ष हस्तियों के साथ कार्बन कर के मुद्दे पर बातचीत का सुझाव दिया

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  • Publish Date - September 5, 2024 / 03:31 PM IST,
    Updated On - September 5, 2024 / 03:31 PM IST

(फाइल फोटो के साथ)

नयी दिल्ली, पांच सितंबर (भाषा) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इस्पात क्षेत्र में सतत विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए इस्पात उद्योग की शीर्ष हस्तियों के साथ कार्बन सीमा समायोजन कर पर चर्चा करने का बृहस्पतिवार को सुझाव दिया।

उन्होंने उद्योग से 2047 तक 50 करोड़ टन इस्पात उत्पादन का लक्ष्य रखने को भी कहा। वर्तमान में उद्योग की नजर 2030 तक 30 करोड़ टन उत्पादन करने पर है।

मंत्री ने उद्योग को कार्बन उत्सर्जन कम करने और देश में उच्च उत्पादकता तथा गुणवत्ता वाले इस्पात को बढ़ावा देने के लिए नए व बेहतर तरीके खोजने का भी सुझाव दिया।

उन्होंने एक इस्पात सम्मेलन को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ आइए हम अपने उत्पादन को अनुकूलित करने, अपशिष्ट को कम करने और मूल्य श्रृंखला की दक्षता में सुधार करने तथा संसाधनों के सर्वोत्तम इस्तेमाल वाली अर्थव्यवस्था की दिशा में काम करने के लिए कृत्रिम मेधा (एआई) का इस्तेमाल करने की कोशिश करें।’’

कार्बन कर पर उन्होंने सुझाव दिया कि इस्पात उद्योग की चार-पांच शीर्ष हस्तियां इस महत्वपूर्ण विषय पर विचार-विमर्श के लिए उनके साथ बैठक कर सकती हैं।

मंत्री ने कहा कि सरकार धन की कमी के कारण निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों में छूट (आरओडीटीईपी) योजना का लाभ इस क्षेत्र को नहीं दे पा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि एक और बहुत महत्वपूर्ण विषय है जिसपर मैंने पहले भी कई प्रयास किए हैं, लेकिन दुख की बात है कि मैं सफल नहीं हो सका। आइए एक और प्रयास करें। सीमा समायोजन कर, बिजली शुल्क, लौह अयस्क शुल्क, जब आप इस्पात निर्यात करते हैं तो हम इन करों से लदे होते हैं।’’

गोयल ने कहा कि भारत में आने वाले आयातित इस्पात को इन सभी करों का भुगतान नहीं करना पड़ता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ सीमा समायोजन कर, डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) की तरह की ही एक प्रणाली है, जिसे यदि सभी उद्योग सीआईआई, फिक्की, एसोचैम अपना लें, तो हम इस पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे और इसे देश में भी लागू कर सकेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘…बिजली शुल्क, कोई भी अतिरिक्त राज्य शुल्क या कर जो आपको नहीं मिल रहा है, जो अन्य देशों में नहीं वसूला जा रहा है उसे सीमा समायोजन कर के जरिये समायोजित किया जा सकता है। इसलिए आइए हम 4-5 लोग बैठें और इस वार्ता को आगे बढ़ाएं।’’

इससे पहले भारतीय इंस्पात संघ (आईएसए) के अध्यक्ष नवीन जिंदल ने मुक्त व्यापार करार (एफटीए) वाले देशों से बाजार बिगाड़ने वाली कीमत पर आयात से इस्पात उद्योग को समर्थन और संरक्षण की बात उठाई। इसके बाद मंत्री ने यह बयान दिया।

जिंदल ने कहा, ‘‘ चीन ने उन देशों में क्षमताएं स्थापित की हैं, जहां से उसे भारत को निर्यात करना है और वह भारी घाटे में भारत को निर्यात कर रहा है, जिससे भारतीय इस्पात उद्योग को नुकसान हो रहा है।’’

गोयल ने कहा कि दक्षिण कोरिया तथा जापान अपने इस्पात संयंत्रों में बने इस्पात का उपभोग करते हैं और कभी-कभी ऊंची कीमत पर भी उन्हें प्राथमिकता देते हैं, ‘‘ जबकि दुख की बात है कि हमारे उद्योग जगत के कई लोग ऐसी सोच नहीं रखते।’’

उन्होंने उद्योग जगत से अन्य देशों में किसी भी अनुचित व्यापार व्यवहार के बारे में सरकार को सूचित करने को भी कहा ताकि भारत उनके खिलाफ जवाबी कदम उठा सके।

मंत्री ने साथ ही जानकारी दी कि व्यापार उपचार महानिदेशालय ने वियतनाम से इस्पात आयात में वृद्धि की जांच शुरू कर दी है।

भाषा निहारिका अजय

अजय