कृषि क्षेत्र में चुनौतियों का सामना करने के लिए सरकार कर रही है प्रयास: तोमर

कृषि क्षेत्र में चुनौतियों का सामना करने के लिए सरकार कर रही है प्रयास: तोमर

कृषि क्षेत्र में चुनौतियों का सामना करने के लिए सरकार कर रही है प्रयास: तोमर
Modified Date: November 29, 2022 / 08:09 pm IST
Published Date: September 7, 2022 9:54 pm IST

नई दिल्ली, सात सितंबर (भाषा) केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को कहा कि सरकार देश के कृषि क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने का प्रयास कर रही है।

मंत्री यहां रबी अभियान 2022-23 के लिए कृषि पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि 2021-22 के फसल वर्ष (जुलाई-जून) में खाद्यान्न का उत्पादन बढ़कर 31.57 करोड़ टन होने का अनुमान है, जो वर्ष 2020-21 के उत्पादन से 50 लाख टन अधिक है।

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एक सरकारी बयान में कहा गया है कि फसल वर्ष 2022-23 के लिए कुल खाद्यान्न उत्पादन का राष्ट्रीय लक्ष्य 32.8 करोड़ टन निर्धारित किया गया है, जिसमें से रबी (सर्दियों में बोया गया) सत्र 16.48 करोड़ टन का योगदान देगा।

उच्च उपज वाली किस्मों (एचवाईवी), कम उपज वाले क्षेत्रों में उपयुक्त कृषि संबंधी प्रथाओं को अपनाने, अवशिष्ट नमी का उपयोग, जल्दी बुवाई और रबी फसलों के लिए जीवन रक्षक सिंचाई के माध्यम से अंतर-फसल, फसल विविधीकरण और उत्पादकता वृद्धि के माध्यम से रकबे को बढ़ाने की रणनीति होगी।

तोमर ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें संयुक्त रूप से कृषि क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही हैं।

देश में उत्पादन की दृष्टि से बहुत काम हुआ है, जिससे खाद्यान्न, दलहन और तिलहन के उत्पादन में वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा, ‘‘आज प्राथमिकता कृषि के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने और उनका समाधान करने की है।’’

इस संबंध में तोमर ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का जिक्र किया, जिसके तहत किसानों को उनकी फसल के नुकसान के मुआवजे के तौर पर 1.22 लाख करोड़ रुपये दिए गए हैं।

उन्होंने कहा कि सभी किसानों को इस योजना के दायरे में लाया जाना चाहिए क्योंकि इससे छोटे किसान सुरक्षित महसूस करेंगे।

तोमर ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी की उत्पादकता घट रही है, इसलिए जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ा रही है और राज्य सरकारों को भी इस दिशा में और प्रयास करने की जरूरत है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय


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