आरआईएनएल को बचाने के लिए सरकार सेल के साथ विलय पर कर रही विचार

आरआईएनएल को बचाने के लिए सरकार सेल के साथ विलय पर कर रही विचार

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  • Publish Date - September 27, 2024 / 03:17 PM IST,
    Updated On - September 27, 2024 / 03:17 PM IST

नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) वित्तीय समस्याओं से घिरी इस्पात विनिर्माता आरआईएनएल को संकट से उबारने के लिए सरकार सार्वजनिक इस्पात कंपनी सेल के साथ उसके विलय की संभावना पर गौर कर रही है। सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

सूत्रों ने पीटीआई-भाषा से कहा कि आरआईएनएल के आंध्र प्रदेश स्थित संयंत्र में परिचालन कायम रखने के लिए पूंजी मुहैया कराने के वास्ते एनएमडीसी को जमीन बेचने के अलावा बैंक ऋण जैसी योजनाओं पर भी काम किया जा रहा है।

हाल ही में आरआईएनएल के मुद्दे पर वित्तीय सेवाओं के सचिव, इस्पात सचिव और सार्वजनिक क्षेत्र के अग्रणी बैंक एसबीआई के शीर्ष अधिकारियों की एक बैठक भी हुई। गौरतलब है कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने आरआईएनएल को खासा कर्ज दिया हुआ है।

सूत्रों ने कहा, ‘सरकार इस मुद्दे का स्थायी समाधान निकालना चाहती है। जिन विकल्पों पर चर्चा की जा रही है उनमें से एक विकल्प आरआईएनएल का सेल के साथ विलय भी है।’

इस्पात मंत्रालय के अधीन संचालित राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में 75 लाख टन क्षमता वाले इस्पात संयंत्र का संचालन करती है। देश की प्रमुख इस्पात उत्पादक स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) का नियंत्रण भी इस्पात मंत्रालय के पास है।

सूत्रों के मुताबिक, आरआईएनएल के परिचालन के लिए पूंजी की व्यवस्था करने पर भी विचार किया जा रहा है। इसके अलावा वित्तीय सहायता के लिए ऋणदाताओं से बातचीत करने और एनएमडीसी को पेलेट संयंत्र लगाने के लिए 1,500-2,000 एकड़ जमीन बेचने जैसे उपायों पर भी गौर किया जा रहा है।

श्रमिक संगठनों का मानना है कि दूसरे प्राथमिक इस्पात निर्माताओं की तरह आरआईएनएल को कभी भी निजी उपभोग वाली लौह अयस्क खदानों का लाभ नहीं मिला जो कि आरआईएनएल के समक्ष मौजूद संकट का प्रमुख कारण है।

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने जनवरी, 2021 में निजीकरण के जरिये आरआईएनएल में सरकारी हिस्सेदारी के 100 प्रतिशत विनिवेश को ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी दी थी।

इस्पात मंत्रालय के एक दस्तावेज के मुताबिक, आरआईएनएल गंभीर वित्तीय संकट में होने की वजह से अपनी न्यूनतम क्षमता पर चल रहा है और लगातार घाटे का सामना कर रहा है। इसका कुल बकाया 35,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण