नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) नागर विमानन मंत्रालय ने ‘सी प्लेन’ परिचालन के लिए सरल नियमों की बृहस्पतिवार को घोषणा की। इसमें गैर-अनुसूचित इकाइयों को ऐसी सेवाएं संचालित करने की अनुमति देना और आसान प्रमाणपत्र प्रक्रिया लागू करना शामिल है।
इन सरल किए गए मानदंडों का मकसद क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) के तहत ‘सी प्लेन’ परिचालन को बढ़ावा देना है।
‘सी प्लेन’ सामान्यतः ऐसे विमान होते हैं जो समुद्र पर उड़ान भर सकते हैं और उतर सकते हैं।
नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के सरल मानदंडों के तहत, ‘वाटरड्रोम लाइसेंस’ की आवश्यकता नहीं होगी तथा अनुपालन आवश्यकताओं को भी कम कर दिया गया है।
‘वाटरड्रोम’ जल क्षेत्र में विमान के उतरने और उड़ान भरने की जगह को कहा जाता है।
नागर विमानन मंत्री के. राममोहन नायडू ने कहा कि संशोधित नियमों को व्यापक विचार-विमर्श के बाद सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है।
संशोधित नियमों की घोषणा के लिए राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम में नायडू ने कहा कि ‘सी प्लेन’ परिचालन से पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।
अन्य विनियामक बदलावा के अलावा, नए वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस (सीपीएल) धारक अब सीधे ‘सी प्लेन रेटिंग’ प्राप्त कर सकेंगे, जिससे उन्हें इसे उड़ाने की अनुमति मिल जाएगी।
मंत्रालय के अनुसार, सरल दिशानिर्देश गैर-अनुसूचित संचालकों (एनएसओपी) को ‘सी प्लेन’ परिचालन की अनुमति देंगे।
भारत ने अंडमान एवं निकोबार के साथ-साथ गुजरात में भी ‘सी प्लेन’ परिचालन शुरू किया था, लेकिन यह लंबे समय तक जारी नहीं रह पाया।
इस कार्यक्रम में नागर विमानन सचिव वुमलुनमंग वुअलनाम ने कहा कि ‘सी-प्लेन’ के लिए नागर विमानन आवश्यकता (सीएआर) को सुव्यवस्थित कर दिया गया है।
उन्होंने राज्य सरकारों से ‘सी-प्लेन’ परिचालन के लिए जल क्षेत्रों की तलाश करने का आह्वान किया।
वुअलनाम ने कहा कि लोगों को संपर्क सुविध प्रदान करने में ‘सी प्लेन’ एक और माध्यम होगा। उड़ान एक ‘अग्रणी’ योजना रही है और तीन वर्षों में 100 से अधिक मार्ग पर परिचालन शुरू किया गया है।
इसके साथ ही सरकार अंडमान एवं निकोबार, लक्षद्वीप, गोवा, असम, आंध्र प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में 18 स्थानों पर जल क्षेत्र में हवाई अड्डे स्थापित करने की योजना भी बना रही है।
भाषा निहारिका रमण
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