नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) सरकार ने पेट्रोल पंप की नियामकीय निगरानी बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस एक व्यापक निगरानी प्रणाली लागू की है। सोमवार को पेश संसदीय समिति की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
इस निगरानी ढांचे में ओटीपी-आधारित मापांकन और डिजिटल भुगतान प्रणालियों सहित उन्नत प्रौद्योगिकियों को एकीकृत किया गया है, जिससे देश के ईंधन वितरण नेटवर्क में वास्तविक समय पर संकलित आंकड़ों का विश्लेषण संभव हो सकेगा।
संसद की उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण संबंधी स्थायी समिति की कार्रवाई रिपोर्ट से पता चला है कि निगरानी प्रणाली को देशभर में विस्तारित किया गया है, जिसमें उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों पर विशेष जोर दिया गया है।
विधिक माप-विज्ञान अधिनियम, 2009 और विधिक माप-विज्ञान (सामान्य) नियम, 2011 के अंतर्गत विकसित नियामकीय तंत्र एक मजबूत निगरानी ढांचा प्रदान करता है।
रिपोर्ट कहती है, “अधिनियम के प्रावधानों का पालन करके और आधुनिक निगरानी उपकरणों का लाभ उठाकर, सरकार का लक्ष्य नियामकीय निगरानी को बढ़ाना, उपभोक्ता हितों की रक्षा करना और देशभर में सभी खुदरा पेट्रोल पंपों पर निष्पक्ष और पारदर्शी बाजार को बढ़ावा देना है।”
यह निगरानी राज्य और केंद्र सरकार, दोनों स्तरों पर विधिक माप विज्ञान विभागों और पेट्रोलियम विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा संयुक्त रूप से की जाती है।
यह पहल संसद की स्थायी समिति की सिफारिशों के बाद की गई है। समिति ने खुदरा पेट्रोल पंप की व्यापक निगरानी के लिए समयबद्ध योजना स्थापित करने के लिए कहा था। नियमित मूल्यांकन महत्वपूर्ण पड़ावों पर नजर रखेगा, चुनौतियों की पहचान करेगा और सुधारात्मक उपायों को लागू करेगा।
भाषा अनुराग प्रेम
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